मुंसिफ कोर्ट के स्थानांतरण के बाद से आंदोलित हैं अधिवक्ता
प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में दुसरे दिन भी अधिवक्ताओं का आंदोलन जारी रहा। अधिवक्ताओं ने तालाबंदी कर न्यायाधीश के गाड़ियों को भी परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया। फिर जिला जज से वार्ता के बाद अधिवक्ताओं ने केवल न्यायाधीशों को ही वाहनों संग प्रवेश के लिए ताला खोला। इन गाड़ियों में बैठे स्टाफ को उतार कर बाहर ही रोक दिया। आक्रोशित अधिवक्ताओं ने क्षेत्राधिकार का आदेश वापस होने तक हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया। उन्होंने रजिस्ट्री कार्यालय के साथ स्टांप वेंडरों की दुकानों को भी बंद कराया। शुक्रवार को आम सभा होगी। इसके बाद आगे की रणनीति वकील बनाएंगे। मेजा में मुंसिफ न्यायालय स्थापित किए जाने का मामले ने तूल पकड़ लिया है। नाराज वकीलों ने गुरुवार को कचहरी के सभी गेट पर ताला जड़ दिया था। इससे जिला न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई के साथ ही सभी कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने क्षेत्राधिकार का आदेश वापस होने तक हड़ताल जारी रखने का एलान किया है। ऐसे में शुक्रवार को भी काम नहीं किया जा रहा है। जिला न्यायालय के अधिवक्ताओं का कहना है कि अभी तक मुंसिफ न्यायालय जिला अदालत परिसर में था। हाल ही में सरकार ने मेजा में ग्राम न्यायालय की स्थापना कर मुंसिफ मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कर दी गई। उसका क्षेत्राधिकार अलग कर दिया, जिससे अधिवक्ताओं की एकता को कमजोर किया जा रहा है। इसी से नाराज वकील पिछले कुछ दिनों से विराेध जता रहे थे। इसका निराकरण न होने पर गुरुवार सुबह वकीलों की टीम कचहरी पहुंची और फिर एक-एक कर सात द्वार पर ताला लगा दिया। आज शुक्रवार को भी अधिवक्ताओं ने न्यायालय के कर्मचारियों को भी भीतर नहीं जाने दिया गया। रजिस्ट्री कार्यालय और स्टांप वेंडरों की दुकान को बंद कराने से खलबली मच गई। कोर्ट आए वादकारी भी निराश होकर वापस लौटने लगे हैं। हंगामा होने की आशंका पर कचहरी रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया गया। प्रदेशभर के सभी बार के अध्यक्षों को पत्र भेजकर उनसे सहयोग मांगने का निर्णय लिया गया है। यह कहा गया कि जब तक आदेश वापस नहीं होता तब तक तालाबंदी हड़ताल जारी रहेगी। जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गिरीश तिवारी, मंत्री विद्या वारिधि मिश्र, उपाध्यक्ष अवधेश कुमार मिश्र, देवकांत शुक्ल व पूर्व अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी, कृष्ण बिहारी तिवारी, राकेश तिवारी, शीतला प्रसाद मिश्र समेत अन्य ने नाराजगी जताते हुए आदेश को वापस लेने पर जोर दिया।