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बाहुबली अतीक के दूसरे कुत्ते टाइगर की भी मौत, भूखे-प्यासे कुत्तों को बचाने के लिए पहुंची एनजीओ

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एक कुत्ते की कल हुई थी मौत, जांच पड़ताल मे जुटे संबंधित लोग

प्रयागराज (राजेश सिंह)। अतीक अहमद के एक और कुत्ते की शनिवार को मौत हो गई। इस तरह से लावारिश हो चुके पांच में से दो कुत्तों की मौत हो चुकी है लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि बॉडी सिर्फ एक की ही मिली। दूसरे कुत्ते की बॉडी कहां गई इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं रहीं। लोगों का यह भी कहना था कि नगर निगम की टीम ने ही कुत्ते को कहीं दफना दिया है।अतीक के पास पांच कुत्ते थे। इनमें से ब्रोनो नामक कुतिया की तीन दिन पहले मौत हो गई थी। वहीं शनिवार को टाइगर नामक कुत्ते की मौत हो गई। इसकी सूचना होने के बाद नगर निगम एवं पशुपालन विभाग की टीम के अलावा एनजीओ के लोग भी पहुंचे, लेकिन टाइगर की बॉडी को कुछ लोग पहले ही ले जा चुके थे। उसके बारे में देर शाम तक जानकारी जुटाई जाती रही लेकिन कुछ पता नहीं चला।
नगर निगम के दस्ते ने कुत्तों को बाहर निकाला। इसके बाद पूरे परिसर की सफाई कराई गई। तीन शेष कुत्तों को दवाएं देने एवं इंजेक्शन लगाने के बाद फिर से परिसर में छोड़ दिया गया। पशुधन अधिकारी विजय अमृत राज का कहना है कि नियमित सफाई के लिए टीम बनाई गई है। तीन बार खाना एवं पानी देने की भी व्यवस्था कर दी गई है। उनका कहना है कि कितने कुत्तों की मौत हुई है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।

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मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अनिल कुमार सिंह का कहना है कि एक ही कुत्ते की बॉडी मिली है। दूसरे कुत्ते की मौत की बात कही जा रही है लेकिन उसकी बॉडी नहीं मिली। उनका कहना है कि अन्य तीनों कुत्ते स्वस्थ हैं। हालांकि, खाना नहीं मिलने की वजह से कमजोर हो गए हैं। उनकी तबीयत बिगड़ती है तो इलाज किया जाएगा। ब्रोनो नामक कुतिया की तीन दिन पहले ही मौत हो चुकी थी। वह गर्भवती थी। काफी पहले मौत होने की वजह से बॉडी में जगह-जगह कीड़े लग गए थे। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अनिल कुमार सिंह का कहना है कि इस वजह से पोस्टमार्टम नहीं किया जा सका। हालांकि, बॉडी के कुछ सैंपल लिए गए हैं। उनकी जांच कराई जाएगी। सैंपल लेने के बाद कुतिया को दफना दिया गया। जांच के लिए पहुंचे पशु पालन विभाग के डॉक्टरों को अतीक अहमद के तीन बचे कुत्तों में कोई बीमारी नहीं दिखी। इसके विपरीत शाम को ही एक अन्य कुतिया की तबीयत बिगड़ गई। एक एनजीओ के लोग उसे नगर निगम की गाड़ी से लेकर झलवा स्थित निजी पशु चिकित्सालय ले गए। एनजीओ नेहा सिंह का कहना था कि दोनों कुत्तों की भूख से मौत नहीं हुई है। उन्हें कीड़े लग गए थे। तीन अन्य कुत्तों को भी कीड़े लग गए हैं लेकिन उनका इलाज नहीं कराया गया। शनिवार को तीनों कुत्तों को कीड़े के इंजेक्शन लगाए गए। नेहा का यह भी कहना था कि कुत्तों के खुंखार होने की बात गलत है। उन्हें हाथ से खाना खिलाया गया।

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अतीक के कुत्तों की हीरा नामक व्यक्ति देखभाल करता है। हालांकि वह भी सिर्फ उन्हें खाना ही उपलब्ध करा पाता है। कीड़े से बचाव एवं दवाओं का कोई इंतजाम नहीं हो पा रहा था। ऐसे में एक-दो दिन और ऐसे ही छोड़ दिया जाता तो अन्य तीनों की भी हालत बिगड़ जाती। अतीक के तीन बचे कुत्तों को लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। शनिवार को कई पालकों एवं एनजीओ से संपर्क किया गया। शुरू में एक-दो लोग तैयार हुए लेकिन, अतीक का नाम सामने आने के बाद वे भी पीछे हट गए। पशुधन अधिकारी का कहना है कि कुत्ते बड़े हो गए हैं और खुंखार हैं। ऐसे में अब इन्हें पालना आसान नहीं है। इसलिए भी लोग आगे नहीं आ रहे। हालांकि लोगों से संपर्क किया जा रहा है।

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