गाजीपुर (राजेश सिंह)। कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगती। मुख्तार अंसारी और उसका परिवार इसका परिवार सबसे बड़ा गवाह है। मुख्तार अंसारी...एक ऐसा नाम जिसे सुन के बड़े-बड़े सूरमाओं की भी घिघ्घी बन जाती थी। लोग उसे डॉन के नाम से जानते थे। अपने समय में वह जरायम की दुनिया का अकेला डॉन था। मुख्तार के नाम की दहशत कभी सिर्फ पूर्वांचल में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में रहती थी। वही डॉन अब सलाखों के पीछे दहशत भरी जिंदगी गुजार रहा है। मुख्तार को शनिवार को गैंगस्टर मामले में सजा मिली है। सजा भी 10 साल की। इसी मामले में उसके सांसद भाई अफजाल अंसारी को भी कोर्ट ने चार की सजा सुनाई गई है। मुख्तार का विधायक बेटा अब्बास और बहू निखत पहले से जेल में हैं। इसके साथ ही छोटे बेटे उमर के खिलाफ एक अन्य मामले में गैर जमानती वारंट जारी हो गया है।
उमर और मुख्तार की पत्नी आफ्शा अंसारी लंबे समय से फरार चल रही है। धीरे-धीरे मुख्तार के पूरे परिवार पर कानून का ऐसा शिकंजा कसा है कि उसके ज्यादातर सदस्यों के अगले कुछ साल जेल में ही कटने तय लग रहे हैं। आफ्शा पर 75 हजार रुपये का इनाम भी घोषित है।
शनिवार को गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट में मुख्तार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेशी कराई गई। अफजाल अंसारी कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट का फैसला आते ही पुलिस ने कार्रवाई की। अफजाल अंसारी को गाजीपुर जिला जेल भेज दिया गया। गाजीपुर एसपी ओमवीर सिंह ने कहा कि जेल में सुरक्षा के सारे प्रबंध है। उन्हें जेल में पूरी सुरक्षा दी जाएगी। पूरे जनपद में पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात है। कानून व्यवस्था बनी रहेगी। स्थिति बिल्कुल ठीक है।
अब्बास अंसारी 2022 के विधानसभा चुनाव में अचानक तब चर्चा में आए जब एक चुनावी सभा में सरकार बनने के बाद अधिकारियों से हिसाब-किताब करने वाली बात कही थी। बयान का वीडियो वायरल हुआ था। हेट स्पीच में मुकदमा दर्ज हुआ था। विधायक बनने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग केस में पिछले साल ही कई माह की लुका छुपी के बाद अब्बास की गिरफ्तारी ईडी ने की थी। चित्रकूट जेल से पत्नी निखत की गिरफ्तारी हुई। यह प्रकरण खासा चर्चा में आया था। गिरफ्तारी के बाद निखत को जहां चित्रकूट जेल में ही रखा गया। वहीं अब्बास अंसारी कासगंज जेल शिफ्ट कर दिया गया था।
मुख्तार से पहले उसके परिवार में आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई नहीं था। उसके परिवार की गिनती बड़े राजनैतिक घराने के रूप में होती थी। अतीत के पन्नों पर नजर डालें तो ताज्जुब होता है कि इतने बड़े परिवार के सदस्य की इतनी कुख्यात छवि। मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वह गांधी जी के साथ हमेशा खड़े रहे और 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।
मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947-48 की लड़ाई में मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। गाजीपुर में साफ. सुथरी छवि रखने वाले और कम्युनिस्ट बैकग्राउंड से आने वाले मुख्तार के पिता सुब्हानउल्ला अंसारी स्थनीय राजनीति में प्रभावी और प्रतिष्ठित नाम थे।