मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
ऐ सैयदा के लाल तुझको उम्र भर रोएंगे हम, हम फकत पैदा हुए रोने रुलाने के लिए इन पंक्तियों के साथ नोहाख्वानी व सीनाजनी करते हुए शिया सोगवारों ने नवासा ए रसूल हज़रत इमाम हुसैन की याद में आंसू बहाए। ताजिये के साथ जुलूस मेजा खास बरगद मोड़ से करबला तक निकाला, जिसमें हजारों सोगवारों ने शिरकत कर शोहदा-ए करबला को खिराज ए अकीदत पेश किए।
मेजा खास में अशरा ए मोहर्रम पर ताजिया जुलूस निकाला गया। इससे पहले मौलाना ने मजलिस में खिताब करते हुए इमाम हुसैन और उनके परिवार व 72 साथियों की शहादत को बयान किया।
हज़रत हुसैन ने जालिम यजीद के आगे घुटने नहीं टेके और इंसानियत बचाने के लिए शहादत दी। इसके बाद अंजुमन-ए हुसैनी अलम और ताजियों का जुलूस लेकर नोहा ख्वानी और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजिया जुलूस के साथ मातम किया।बता दें कि ताजिया मातमी जुलूस निकालने के पूर्व संध्या पर लगभग 11 बजे के करीब सभी ताजिया को ताजियादारों ने निर्धारित चौक पर स्थापित करते हैं उसके बाद ओजावर फातिया पढ़ते हैं।रात लगभग एक बजे ताजिया को पूरे गांव में भ्रमण कर 4 बजे भोर में फिर चौक पर स्थापित किया।उसके बाद शनिवार दोपहर एक बजे से ताजिया उठाकर निर्धारित रास्ते से होते हुए करबला पहुंच कर सभी 5 ताजिया का मिलान कर फूल को दफन कर फातिया पढ़कर अपने अपने घर को वापस हुए।मातमी जुलूस के दौरान उमस भरी गर्मी में सत्यम श्रीवास्तव द्वारा शरबत की व्यवस्था किए जाने से जुलूस में शामिल लोगों को बड़ी राहत मिली।
जुलूस के दौरान शांति व्यवस्था को लेकर डीसीपीसी के सदस्यों ने पुलिस प्रशासन का सहयोग किया।इस मौके पर निजामुद्दीन,ओनौवर अली,हमीद अली,मदारी मियां,अशफाक अहमद,मुन्ना भाई,मुमताज अली, रईस अहमद,आजाद मियां,शाहिद,इफ्तिखार सहित भारी संख्या में पुरुष व महिलाएं शामिल रहीं।