प्रयागराज (राजेश सिंह)। हुसैन जिंदाबाद हुसैन जिंदाबाद, या हुसैन आपको सलाम के पुरदर्द नौहों या अली या हुसैन के नारों के बीच मोहर्रम की दसवी यौमे आशूरा पर शनिवार को ताजियों के फूल अकीदत और एहतेराम के साथ करबला में दफन किए गए। बड़ा ताजिया निरंजन सिनेमा के पास स्थित इमामा से दोपहर दो बजे कधों पर उठाया गया। हुसैन के हजारों चाहने वाले ताजिया को कदमी रास्तों पर कधों पर उठाकर करबला की तरफ बढ़े जानसेनगंज चौराहे से लेकर घंटाघर, कोतवाली, नखासकोना, खुल्दाबाद से करबला तक लोग ही लोग नजर आ रहे थे। काले लिबास, हरे कुर्ते, सिर पर हरा लाल साफा पहने इमाम हुसैन के चाहने वाले शाम को बड़ा ताजिया लेकर करबला पहुंचे और अकीदत के साथ फूलों को दफन कर फातेहा पड़ी। इसी तरह दोपहर दो बजे हजारों अकीदतमंद कंधे पर ताजिया लेकर करबला पहुंचे और फूलों को दफन किया। सुबह से शाम तक हुसैन के शैदाइयों का हुजूम अकीदत का नजराना पेश करने सड़कों पर नजर आया कि हर जगह के ताजिये और मेहंदी चार साल बाद उठीं इसलिए इस बार भीड़ जरूरत से ज्यादा उमड़ी।
कोतवाली से लेकर करबला तक के रास्तों पर महिलाओं, बच्चों, बुजुगों की भीड़ ताजियों के इंतजार में सुबह से मौजूद रही। किसी ने फूल तो कोई बोसा लेने को परेशान रहा। चकिया करबला में सुबह से ही मेला लगा रहा। हर मोहल्ले से पहुंचने वाले जुलूसों की वजह से वहां सैकड़ों दुकानें सजी थी। इसके अलावा शहर भर से उठे अलम, मेहंदी, साबून, जुलजुनाह के फूल सुबह से ही करबला पहुंचाए जाने लगे करेली, सब्जीमंडी चौक, रानी मंडी, दरियाबाद समेत शहर के सभी मोहल्लों में दस दिनों तक इमामबाड़ों पर आए अकीदत के फूलों को शनिवार को दफन कर दिया गया। बड़ा ताजिया जुलूस में रेहान खां, इमरान खां, अनू भैया, वजीर खां, सलामत खान, वसीम खां, सायबान अहमद आमिर खा, राहिल या आमशन अल डॉक्टर मो. मजा आदि ने इंतजाम देखो सईद अहमद इसरार अंजुम, हसीब अहमद, बाद मिया, मो. आरिम, मो. अकरम शगुन, बर यासीन खां, नदीम सिराजी सैयद मोहम्मद जनकरी, तारिक के चांदवा आदि शामिल हुए। चौक सब्जीमंडी में मासूम अली असगर के झूले का फूल भी अकीदत से दफन हुआ।