जमुनापार महोत्सव के दूसरे दिन लोकरंग में कलाकारों ने बांधी समां
रामकथा प्रवाचक स्वामी विनोदानंद जी महराज ने बखानी प्रेम की महिमा
करछना, प्रयागराज (राजेश सिंह)। क्षेत्र के रामपुर में चल रहे 25वें यमुनापार महोत्सव के दूसरे दिन मंच पर पहुंचे लोक कलाकारों ने पारंपरिक गीतों पर खूब समां बांधी। लोक कलाकार विभव शंकर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के बाद लागलि बाटइ, निदिंया, भुखिया, प्यास हे हरि कहवां जाई की प्रस्तुति ने खूब बाहवाही लूटी। धीरज ऋतिराज, चंद्रभान प्रजापति, बृजभान यादव, रायचंद पाल, शनि विश्वकर्मा और मोहन पांडेय द्वारा प्रस्तुत धोबियागीत, चनैनी, कजरी, पूरबी, पंवारा जैसे गीतों ने बाहवाही लूटी, तो वहीं फूलचंद्र और साथियों के आल्हागीत पर श्रोता झूम उठे। लोक गायिका कौशल्या देवी ने सोहरगीत की प्रस्तुती पर खूब तालियां बटोरी।लोकरंग कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बचऊलाल यादव, अध्यक्षता श्यामलाल बेगाना और संयोजन रामबाबू यादव ने किया।रामकथा सत्र में मंच पर पहुंचे स्वामी विनोदानंद जी महराज ने, रामहि केवल प्रेम पियारा जैसी चौपाइयों की व्याख्या करते हुए प्रेम को जगत का सार बताया।स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए प्रेम ही सबसे सरल और सहज मार्ग है। आज भारत को विश्व गुरू बनाने के लिए जाति वर्ग के सारे बंधन तोड़कर आपसी भाईचारे के साथ हमें प्रेम रसपान कर आगे बढ़ने की जरूरत है।संयोजक डॉ.भगवत पांडेय ने मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले लोक कलाकारों को अपनी माटी ,परिपाटी और समरसता का संवाहक बताया। प्रधानाचार्य मनीष तिवारी ने संतो और कलाकारों समेत कथा श्रवण करने आये श्रोताभक्तजनों के प्रति स्वागत आभार प्रकट किया।संचालन डा.राजेंद्र शुक्ल ने किया। इस मौके पर जितेंद्र कुमार, कमला शंकर त्रिपाठी, जगतपाल, परवेज सिद्धीकी, चंद्रशेखर सिंह, गेंदा सिंह, अशोक विश्वकर्मा, सूर्यभान यादव, रणजीत सिंह, मोहिनी श्रीवास्तव, अशोक बेशरम, अनुज पांडेय, अतुल तिवारी समेत बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।