प्रयागराज (राजेश सिंह)। वकालत के शुरुआती दौर में फीस की चिंता किए बिना सिर्फ मुकदमों की ड्राफ्टिंग और बहस के तौर तरीकों को सीखना ज़रूरी है। इसके लिए खाली समय में नियमित अदालती कार्यवाहियों को देखना और समझना जरूरी है।
यह बातें न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने वकालत के गुण सिखाने की दिशा में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शुरू हुए युवा अधिवक्ता संवाद श्रृंखला में युवा अधिवक्ता को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने नए वकीलों को अदालत के समक्ष साधे अंदाजा में अपना पक्ष रखने के गुर बताते हुए कहा कि अगले दिन के बहस की तैयारी के लिए एक दिन पहले ही महत्वपूर्ण तथ्यों और नजीरों की सूची तैयार करें और बहस के दौरान क्रमवार अदालत के सामने पेश करें।
इस कड़ी में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार ने कहा कि विधि का क्षेत्र बहुत व्यापक है। कानूनी किताबों का निरंतर अध्ययन और बहस पूर्व की तैयारी वकील की गंभीरता को दर्शाती है। अदालत में दलीलों को सिलसिलेवार साधारण भाषा में पेश करने से अदालत का समय और अपेक्षित परिणाम की संभावना बढ़ जाती है।
इस अवसर पर युवा अधिवक्ताओं ने विधिक मुद्दो पर सवाल जवाब भी किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह और संचालन संयुक्त सचिव लाइब्रेरी अजय सिंह ने किया, जबकि महासचिव नितिन शर्मा लोगो का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर अमित के श्रीवास्तव, आशुतोष पांडेय, अशोक कुमार त्रिपाठी, अरविंद कुमार श्रीवास्तव, स्वर्ण लता सुमन, सर्वेश कुमार दुबे, अजय सिंह, अमरेन्दु सिंह, अंजना चतुर्वेदी, प्रीति द्विवेदी, सरिता सिंह, अभ्युदय त्रिपाठी, विनोद राय, अमित कुमार पांडेय, ओम प्रकाश विश्वकर्मा, अरविंद कुमार सिंह, अरूण कुमार त्रिपाठी, आशुतोष मिश्र, सुधीर कुमार केसरवानी, साइमा सहर, अनिरूद्ध ओझा, अनिल कुमार मिश्र, गुलाब सिंह यादव एवं अनिल प्रताप सिंह समेत बड़ी संख्या में अधिवक्तागण मौजूद रहे।
