प्रयागराज (राजेश सिंह)। दोनों पक्ष के वकीलों को कोर्ट के बजाय आपस में ही बहस करते देख जज ने स्वयं को केस की सुनवाई से अलग कर लिया। कहा कि वकीलों के इस आचरण सराहनीय नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा केस की सुनवाई के लिए दूसरी पीठ नामित की जाए, जिसमें वह शामिल न हो और केस फाइल मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित कर दी।
शुआटस नैनी के प्रोफेसर आर बी लाल की जमानत अर्जी की सुनवाई न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की कोर्ट में चल रही थी। याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी व अनुज श्रीवास्तव और राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता पीके गिरी बहस कर रहे थे। वे कुछ समय के लिए आपस में ही उलझ गये और आपस में ही तर्क-वितर्क करने लगे, जो कोर्ट को नागवार गुजरा। इस पर न्यायमूर्ति ने स्वयं को केस की सुनवाई से ही अलग कर लिया।