चंदौली (राजेश यादव)। चंदौली जिले में बहुचर्चित इंस्पेक्टर रतन सिंह यादव को सेवा में लेने का आदेश हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा जारी किया गया है जिसमें 3 सप्ताह में बहाल करने और सभी बकाए के भुगतान का निर्देश।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी एसपी रतन सिंह यादव की अनिवार्य सेवा के मामले में यूपी के योगी सरकार को करारा झटका देते हुए कोर्ट ने डिप्टी एसपी को 3 सप्ताह के भीतर सेवा में वापस लेने और उनके सभी बकाया वेतन भत्तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले पर रतन सिंह यादव की याचिका पर आदेश जारी करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया ने योगी सरकार को रतन सिंह यादव के ट्रैक रिकार्ड को देखे बिना सेवानिवृत्ति के आदेश जारी करने का दोषी पाया है। योगी सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी ने 7 नवंबर 2019 को रतन सिंह यादव को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति दे दी। योगी सरकार के आदेश को रतन सिंह यादव ने हाई कोर्ट में चुनौती दी और अपने सभी रिकार्ड को कोर्ट के सामने रखा। रतन सिंह यादव ने कोर्ट को याद दिलाया कि 1998 में जब वह सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे तब उन्होंने मुन्ना बजरंगी गैंग से मुठभेड़ की थी। उसमें बहादुरी का परिचय दिया था। मुठभेड़ के दौरान उनको एके-47 से 5 गोलियां लगी थी। उसे जख्म को रिकवर होने के बाद उन्हें "आउट ऑफ टर्न मोशन" मिला और बाद में उनको डिप्टी एसपी के पद पर प्रमोट कर दिया गया। इसके अलावा उनको उत्कृष्ट सेवा के लिए "राष्ट्रपति मेडल" भी मिल चुका है। इन सभी बातों को ध्यान रखते हुए हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुए 7 नवंबर 2019 को रतन सिंह यादव को दी गई अनिवार्य सेवा निवृत्ति का आदेश रद्द कर दिया और कहा कि योगी सरकार 3 सप्ताह के भीतर इनको पुनः ज्वॉइन तथा 6 सप्ताह के भीतर सभी बकाया वेतन भत्तों का भुगतान किया जाए।