डीजीपी व जिला जजों से तलब की रिपोर्ट
प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने थानों और अन्य सरकारी विभागों में जब्ती के बाद पड़े वाहनों की जर्जर हालत को लेकर सख्त कदम उठाया है। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की अदालत ने उत्तर प्रदेश में पुलिस थानों में जब्त वाहनों की बदहाली पर गंभीर चिंता जताते हुए डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है। इसके साथ ही जिला जजों को निर्देश दिया है कि वे जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक के साथ बैठक कर इन वाहनों के निस्तारण की ठोस योजना तैयार करें और अदालत में रिपोर्ट पेश करें।
यह आदेश अलीगढ़ के वीरेंद्र सिंह द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट वाहन मालिकों की समस्याओं को समझने और उनका समाधान निकालने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में वाहनों को पुलिस थानों में कबाड़ के रूप में छोड़ दिया गया है, जबकि उच्चतम न्यायालय ने जब्त वाहनों की रिहाई के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं।
अदालत ने ट्रायल कोर्ट और प्रशासनिक अधिकारियों की विफलता की भी आलोचना की है, जिन्होंने वाहनों की रिहाई के मामले में गंभीर प्रयास नहीं किए। इस प्रशासनिक विफलता के कारण वाहन मालिक प्रतिदिन 10 से 15 अर्जियां अदालत में दाखिल कर रहे हैं, जिससे अदालत पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है और न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
डीजीपी, परिवहन विभाग और आबकारी विभाग के सचिवों को यह रिपोर्ट आगामी सुनवाई के लिए, जो कि 18 सितंबर को निर्धारित है, अदालत में पेश करनी होगी। अदालत का यह कदम प्रशासनिक सुधार और वाहनों की रिहाई में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।