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प्रयागराज में त्रिवेणी पुष्प का बदलने लगा स्वरूप

 

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महाकुंभ तक तैयार हो जाएगी नवग्रह वाटिका और यज्ञशाला

प्रयागराज  (राजेश सिंह)। प्रयागराज के अरैल तट के पास स्थिति त्रिवेणी पुष्प का नया स्वरूप तेजी से आकार लेने लगा है। इसमें नवग्रह वाटिका, यज्ञशाला और देश के प्रसिद्ध मंदिरों के प्रतिकात्मक स्वरूप को विकसित करने का कार्य तेजी से चल रहा है। ऐसे में पूरी उम्मीद है कि महाकुंभ 2025 की शुरूआत के पहले यह अपने वास्तविक आकार में दिखाई देगा और पर्यटकों, श्रद्धालुओं के लिए शुरू हो जाएगा। इसके निर्माण की जिम्मेदारी प्रयागराज विकास प्राधिकरण की तरफ से परमार्थ निकेतन संस्थान ऋषिकेश को दी गई है।

पर्यटन स्थल के रूप में किया जा रहा है विकसित

प्रयागराज में पर्यटन स्थलों को विकसित करने समेत कई कार्यों पर सरकार का अधिक रूझान है। प्रयागराज के नैनी में अरैल के पास विकसित किए जा रहे त्रिवेणी पुष्प की परिकल्पना पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे स्व. केसरीनाथ त्रिपाठी ने देखी थी। उनके महत्वकांक्षी योजनाओं में इसके भव्य स्वरूप को तैयार किया जाना था। इसको देखते हुए प्रयागराज विकास प्राधिकरण की तरफ से महाकुंभ के कार्यों में इसको विकसित करने का प्रोजेक्ट बनाया गया था। प्राधिकरण की ओर से इसको विकसित करने की जिम्मेदारी परमार्थ निकेतन को दी गई है। जो तेजी से कार्य करा रहा है। यहां पर पर देश के प्रसिद्ध मंदिरों द्ववारिकाधीश मंदिर, जगन्नाथ पुरी मंदिर, रामेश्वरम तीर्थ आदि मंदिरों का प्रतिकात्मक स्वरूप विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा त्रिवेणी पुष्प में यज्ञशाला, नवग्रह वाटिका, संत कुटीर, फौव्वारा, योग सूर्य नमस्कार की प्रतिमाओं के साथ ही ऋषिमुनियों की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही है। इसके अलावा यहां पर पार्किंग स्थल और फूडकोर्ट की स्थापना भी की जानी है। जिससे यहां आने वाले पर्यटक और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो सके। परमार्थ निकेतन को ही इसके संचालन और व्यवस्था की जिम्मेदारी पीडीए की तरफ से दी गई है।

2000 में हुआ था शिलान्यास

अरैल तट पर त्रिवेणी पुष्प का शिलान्यास तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी ने सन 2000 में किया था। यह उनकी महत्वकांक्षी योजना थी। उस समय इसके अंदर बद्रीनाथ, केदारनाथ मंदिरों का प्रतिकात्मक स्वरूप तैयार कराया गया था। शुरूआत में यहां पर बड़ी संख्या में सैलानी आते थे, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण यह धीरे-धीरे यह विरान हो गया। इसके बाद यहां पर अराजक तत्वों का अड्डा बनने लगा, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद एक बार फिर से इसको नया स्वरूप देने की पहल की गई है।

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