कुंभनगर (राजेश शुक्ल)। महाकुंभ में छुट्टी के दिन रविवार को अमृत स्नान पर्व की तरह श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। सुबह से शाम तक जनज्वार उमड़ता रहा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस अधिकारियों को प्लान बदलना पड़ा। प्रयागराज मुख्यालय से 30 से 40 किलोमीटर पहले वाहनों को डायवर्ट कर पार्किंग में भेजा गया।
संगम तट और वहां तक आने-जने वाले रास्ते भी चोक रहे। मेला क्षेत्र के प्रवेश मार्ग पर स्नानार्थियों की गाड़ियां घंटों फंसी रहीं और कई हिस्से में जाम लगा रहा, जिससे स्नानार्थियों को परेशानी हुई। राजमार्गों पर दूसरे भी दिन वाहन रेंगते रहे और पार्किंग तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। करीब 15 घंटे में 50 हजार से अधिक वाहन जिले में प्रवेश हुए और इसी अनुपात में वापस गए।
डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने लगाई डुबकी
शाम तक 1.49 करोड़ स्नानार्थियों ने त्रिवेणी में डुबकी लगाई। सड़क पर उतरकर पुलिस अधिकारी यातायात को सुगम बनाए रखने के लिए जूझते रहे। सनातन संस्कृति की संवाहक त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने की भीड़ पांच मुख्य स्नान पर्व समाप्त होने के बाद भी कम नहीं हो रही है। सड़क मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा न हो, इसके लिए मुख्यमंत्री की ओर से लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं।
पुलिस अधिकारी भी भीड़ का अनुमान लगाकर योजना बनाकर क्रियान्वित कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से सामान्य दिनों में लोग महाकुंभ आ रहे हैं, उससे यातायात व्यवस्था चरमरा जा रही है। शनिवार के बाद रविवार को संगम तट पर जनसमुद्र दिखाई दिया। इससे प्रयागराज को जोड़ने वाले दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, जौनपुर, वाराणसी, मीरजापुर, बांदा, चित्रकूट और कौशांबी मार्ग सुगम यातायात की स्थिति बिगड़ गई। तब प्रयागराज मुख्यालय 30 से 40 किलोमीटर पहले बड़े वाहनों को डायवर्ट करते हुए पार्किंग में भेजा गया।
शहर के अंदर भी लगा रहा जाम
वहां से शटल बस और दूसरे साधनों से श्रद्धालुओं को संगम के नजदीक तक पहुंचाया गया। हालांकि इस दौरान छोटी गाड़ियां निकलती रहीं, लेकिन नजदीक की पार्किंग में जाने की बजाय संगम की ओर आगे बढ़ गईं, जिससे जाम लग गया। इससे फाफामऊ, नैनी, झूंसी और सुलेम सरांय से पांच किलोमीटर तक वाहन फंसे रहे। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से भी 10 से 15 किलोमीटर की दूरी तय करके स्नानार्थी संगम तक पहुंचे।
मेला क्षेत्र के प्रवेश मार्ग और उसके आसपास भी गाड़ियां फंसी रहीं। उधर, एडीजी जोन भानु भास्कर, आइजी रेंज प्रेम गौतम, पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा, एडिशनल पुलिस कमिश्नर अजयपाल शर्मा, डीसीपी ट्रैफिक नीरज पांडेय और डीसीपी सिटी अभिषेक भारती सड़क पर उतरकर भीड़ व यातायात का प्रबंधन करते रहे।
अधिकांश पांटून पुल रहे बंद रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और वीआइपी आगमन के चलते अधिकांश पांटून पुलों को बंद रखा गया। इससे श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी। श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित भीड़ बढ़ी तो रोडवेज ने भी प्रयागराज के लिए 150 मेला स्पेशल बसें भेज दीं। रात के समय में भी बसें रवाना होती रहीं। रविवार को अचानक चौरी चौरा एक्सप्रेस के निरस्त होने से गोरखपुर ही नहीं झूसी बस स्टेशन पर भी श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ गया। बसों चढ़ने के लिए अफरातफरी मची रही। गोरखपुर परिक्षेत्र से प्रयागराज के लिए चलाई जा रहीं 390 महाकुंभ स्पेशल बसें भी कम पड़ गई हैं।
माघी पूर्णिमा के बाद भीड़ में कमी आने की बजाय महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ अचानक बढ़ गई है। रेलवे ही नहीं रोडवेज प्रशासन के माथे पर बल पड़ गए हैं। श्रद्धालुओं को सुरक्षित भेजना और वापस लाना चुनौती बनती जा रही है। जाम के चलते झूसी स्टेशन के अलावा प्रयागराज बार्डर पर रोडवेज की दर्जनों बसें सड़कों पर खड़ी रहीं। श्रद्धालु परेशान रहे। श्रद्धालुओं को कुछ भी नहीं सूझ रहा कि कहां जाएं। रेलवे स्टेशन जाएं या बस स्टेशन। महाकुंभ की यात्रा पहाड़ चढ़ने जैसी हो गई है।
परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक लव कुमार सिंह का कहना है कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गोरखपुर परिक्षेत्र से प्रयागराज के बीच पर्याप्त महाकुंभ स्पेशल बसें चलाई जा रही हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने पर आवश्यकतानुसार और स्पेशल बसें चलाई जाएंगी। वसंत पंचमी और माघी पूर्णिमा स्नान के बाद भी गोरखपुर परिक्षेत्र से प्रयागराज के बीच बसों का परिचालन कम नहीं हुआ है।
अभी भी गोरखपुर परिक्षेत्र के 38 प्वाइंटों से 390 महाकुंभ स्पेशल बसें चलाई जा रही हैं। ये बसें महाशिवरात्रि स्नान पर्व तक गोरखपुर से प्रयागराज के बीच चलती रहेंगी। इन बसों के संचालन के लिए परिवहन निगम के अधिकारी गोरखपुर और प्रयागराज से लगातार निगरानी कर रहे हैं।
प्रयास किया जा रहा है कि श्रद्धालुओं को कोई परेशान न हो। जानकारों के अनुसार वसंत पंचमी तक श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए गोरखपुर परिक्षेत्र से प्रयागराज के झूसी तक 2300 बसें चलाई गईं। इनमें 1910 बसें दूसरे परिक्षेत्र से मंगाई गई थीं। वसंत पंचमी के बाद दूसरे परिक्षेत्र की बसों को वापस भेज दिया गया। अब सिर्फ गोरखपुर परिक्षेत्र की बसें ही चलाई जा रही हैं।