प्रयागराज (राजेश सिंह)। गंगानगर के हंडिया में पॉक्सो में तीन आरोपियों को क्लीनचिट देने के मामले में एक और चौंकान वाली बात सामने आई है। मुकदमे में फर्जी तरीके से गवाह बनाए गए हंडिया टोल प्लाजा मैनेजर का झूठा बयान तो लिखा ही गया। बतौर गवाह उनका नाम भी गलत दर्ज किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक विवेचक ने उक्त घटना के संबंध में चार दिसंबर 2024 को हंडिया टोल प्लाजा मैनेजर का बयान दर्ज करने की बात अंकित की। इसमें मैनेजर का नाम महेंद्र प्रताप लिखा। जबकि, उनका नाम महेंद्र कुमार यादव है। मुकदमे में झूठा बयान दर्ज किए जाने के बाबत उनकी ओर से दिए हलफनामे में भी उन्होंने अपना यही नाम लिखा है। जानकाराें का कहना है कि पॉक्सो जैसे गंभीर मामले में गवाह बनाए जा रहे व्यक्ति का सही नाम भी अंकित न होना विवेचना में गंभीर चूक की ओर इशारा करता है।
डीसीपी गंगानगर कुलदीप सिंह गुनावत ने मामले का संज्ञान ले लिया है। उन्होंने विवेचक काे मय केस डायरी उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विस्तृत पड़ताल के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
विवेचना का पर्यवेक्षण करने वाले भी सवालों के घेरे में हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर नाबालिग पीड़िता के कोर्ट के समक्ष दिए बयान के बाद भी तीन आरोपियों को क्लीनचिट देने की बात सामने आने पर उन्होंने अपनी ओर से पड़ताल क्यों नहीं कराई। क्याें विवेचक की लिखी हुई बाताें को पर आंख मूंदकर भरोसा किया और इसे आगे बढ़ा दिया।
यह है पूरा मामला
आरोप है कि हंडिया में 26 अक्तूबर को दर्ज पॉक्सो, किशोरी के अपहरण व छेड़छाड़ के मामले में पीड़िता के कोर्ट में कथन के बाद भी टोल मैनेजर का फर्जी बयान दर्ज कर तीन आरेापियों को क्लीनचिट दे दी गई। पुलिसिया खेल की पोल मैनेजर के ही हलफनामे से खुली, जिसमें उसने दावा किया है कि वह न तो विवेचक से कभी मिला, न ही कोई बात हुई। पीड़िता की मां ने अफसरों से इन्साफ की गुहार लगाई है।