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अद्भुत और चमत्कारिक है रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत, जानिए जाप करने का लाभ

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दशानन रावण द्वारा गाई गई यह स्तुति शिव तांडव स्त्रोत के नाम से जानी जाती है। अन्य किसी भी पाठ की तुलना में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भगवान शिव को अधिक प्रिय है। शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं...

शिव तांडव स्त्रोत को रावण तांडव स्त्रोत के नाम से भी जाना जाता है। इस स्त्रोत की रचना रावण द्वारा की गई है। शिव तांडव स्त्रोत में रावण ने 17 श्लोकों से भगवान भोलेनाथ की स्तुति की गई है। एक बार दशानन रावण ने अहंकारवश कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया था। तब शिव जी ने अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया था। जिसकी वजह से रावण का हाथ कैलाश पर्वत के नीचे दब गया था। तब पीड़ा में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव की स्तुति की थी।

दशानन रावण द्वारा गाई गई यह स्तुति शिव तांडव स्त्रोत के नाम से जानी जाती है। अन्य किसी भी पाठ की तुलना में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भगवान शिव को अधिक प्रिय है। शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और इस स्त्रोत को काफी चमत्कारिक माना जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको शिव तांडव स्त्रोत के फायदे और इसका पाठ करने की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने के लाभ

बता दें कि जो मनुष्य शिवतांडव स्त्रोत द्वारा भगवान भोलेनाथ की स्तुति करता है, उस पर महादेव प्रसन्न होते हैं। नियमित रूप से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से जातक को कभी धन-संपदा की कमी नहीं होती है।इस स्त्रोत का पाठ करने से जातक को उत्कृष्ट व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है। शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से जातक के मन की कामना पूरी हो जाती है। मान्यता है कि रोजाना इस स्त्रोत का पाठ करने से वाणी की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है। महादेव चित्रकला, लेखन, नृत्य, योग, ध्यान, समाधि आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं। इस स्त्रोत का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है। शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से शनि दोष के कुप्रभावों से मुक्ति मिलती है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष, सर्प दोष या पितृ दोष लगा है, तो उन जातकों को भी शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

शिव तांडव स्तोत्र की विधि

इस स्त्रोत का पाठ सुबह या फिर प्रदोष काल में करना चाहिए। सबसे पहले स्नानादि करने के बाद साफ कपड़े पहनें। अब शिव जी को प्रणाम करें और धूप-दीप, नैवेद्य से उनका पूजन करें। बता दें कि पीड़ा के कारण रावण ने पीड़ा के कारण बहुत तेज स्वर में गाया था। इसलिए हमेशा शिव तांडव स्त्रोत का पाठ गाकर करें। इस स्त्रोत का पाठ करने के साथ नृत्य करना सर्वाेत्तम माना जाता है। लेकिन नृत्य सिर्फ पुरुषों को ही करना चाहिए। स्त्रोत का पाठ पूरा हो जाने के बाद महादेव का ध्यान करें। शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना ऊर्जावान और शक्तिशाली मना गया है। इस स्त्रोत का पाठ करने के दौरान किसी के प्रति अपने मन में दुर्भावना न रखें।

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