प्रयागराज (राजेश सिंह)। पुलिसिंग व्यवस्था में सुधार व आपराधिक मामलों में कार्रवाई को पारदर्शी व त्रुटिहीन बनाने के लिए प्रयागराज जोन में नई व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था के तहत एफआईआर दर्ज होने से लेकर चार्जशीट या अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगाने तक की प्रत्येक चरण की गहन समीक्षा के लिए कुल 1200 चेक पॉइंट बनाए गए हैं। एडीजी जोन डॉ. संजीव गुप्ता की पहल पर यह व्यवस्था जोन के सातों जनपदों में लागू कर दी गई है।
एडीजी जोन के अनुसार, इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अपराधों की विवेचना किसी भी स्तर पर कमजोर न हो और अदालत में मुकदमे की पैरवी मजबूती से की जा सके। पुलिस की कार्यप्रणाली को और अधिक उत्तरदायी बनाने के लिए यह चेक पॉइंट प्रणाली प्रभावशाली साबित होगी।
इन चेक पॉइंट पर एफआईआर दर्ज करने के बाद की हर कार्रवाई जैसे साक्ष्य संकलन, गवाहों के बयान, मेडिकल रिपोर्ट, आरोपी की गिरफ्तारी, साक्ष्य की पुष्टि, वैज्ञानिक जांच आदि को निर्धारित मानकों पर परखा जाएगा। जांच अधिकारी, सीओ और एडिशनल एसपी तक को इन बिंदुओं पर रिपोर्टिंग करनी होगी और पर्यवेक्षण करना होगा।
पुलिस मुख्यालयों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, विवेचना में त्रुटियों और प्रक्रियात्मक लापरवाही के कारण कई मामलों में आरोपी छूट जाते हैं। एडीजी जोन ने बताया कि नए चेक पॉइंट सिस्टम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर आवश्यक बिंदु पर समीक्षा हो। ताकि विवेचना की गुणवत्ता बेहतर हो और अदालत में पुलिस मजबूती से पक्ष रख सके। साथ ही अपराधी को सजा दिलाई जा सके।
नई प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जांच अधिकारियों को तकनीकी पहलुओं के साथ-साथ कानूनी प्रावधानों पर विशेष जानकारी दी जा रही है। उच्चाधिकारियों को भी इन चेक पॉइंट की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे हर स्तर पर निगरानी बनी रहे।
इन सात जिलों में लागू हुई व्यवस्था
प्रतापगढ़, कौशाम्बी, फतेहपुर, महोबा, हमीरपुर, चित्रकूट, बांदा।
प्रयागराज जोन में लागू की गई यह प्रणाली पुलिसिंग के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम है। इससे न केवल अपराधियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी, बल्कि जनता का पुलिस और न्याय प्रणाली पर विश्वास भी मजबूत होगा। - डॉ. संजीव गुप्ता, एडीजी जोन प्रयागराज
इस तरह के चेक पॉइंट बनाए गए
एफआईआर दर्ज करने से पहले थानेदार यह सुनिश्चित करेंगे कि तहरीर में सभी आवश्यक जानकारी हो। मसलन घटना का स्थान, समय आदि।
महिला अपराध के मामलों में फॉरेंसिक टीम मौके पर गई या नहीं।
एफआईआर में देरी हुई तो इसका कारण।
पीड़ित या चश्मदीद का बयान दर्ज किया गया या नहीं।
जब्ती प्रक्रिया में वीडियो रिकॉर्डिंग हुई या नहीं।