प्रयागराज (राजेश सिंह)। सरकारी सेवा में लापरवाही बरतना एक संविदा डाक्टर को भारी पड़ गया। उनका निजी अस्पताल सील कर दिया गया। मामला करछना सीएचसी का है, जहां तैनात एक महिला चिकित्सक ने अपने निजी अस्पताल में आई एक गरीब मरीज को केवल इसलिए लौटा दिया क्योंकि वह फीस नहीं चुका सकी।
बात जब जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ तक पहुंची तो उन्होंने डाक्टर को ऐसी सीख दी जिसकी गूंज पूरे चिकित्सा विभाग में है। सील हुए निजी अस्पताल की कार्रवाई से बचने के लिए अब डाक्टर को एसआरएन अस्पताल के 50 गंभीर मरीजों का अपने निजी अस्पताल में मुफ्त उपचार करना होगा।
महिला चिकित्सक डा.पल्लवी सिंह पिछले दिनों अपने अंदावा स्थित निजी अस्पताल में मरीज देख रही थीं, तभी एक गंभीर हालत में महिला मरीज पहुंची। मरीज के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। डाक्टर ने इलाज करने से साफ इन्कार कर दिया। मरीज लौट गई, पर मामला यहीं नहीं रुका।
यह बात स्थानीय लोगों और फिर जिला प्रशासन तक पहुंची। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया। डीएम ने तीन जून को समीक्षा बैठक में इस मामले में सीएमओ व सीएचसी प्रभारी से पूछताछ की। महिला चिकित्सक की लापरवाही की रिपोर्ट तलब की।
इसकी जानकारी होते ही अगले दिन चार जून को महिला चिकित्सक ने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद महिला का निजी अस्पताल सील करा दिया गया। महिला चिकित्सक तथा उनके डाक्टर पति को मंगलवार को कार्यालय में तलब किया। वह अपने पति के साथ डीएम से मिलने पहुंचीं। डीएम ने सीएमओ डा.एके तिवारी से उनके कार्यों की पूरी रिपोर्ट मंगाई।
रिपोर्ट में सामने आया कि डाक्टर को सीएचसी करछना में सिजेरियन प्रसव का लक्ष्य दिया गया था, जो वह पूरा नहीं कर सकीं। इसके अलावा वह अक्सर ड्यूटी से भी अनुपस्थित रहती थीं। कार्यशैली में लापरवाही और मरीज को बिना इलाज लौटाने की बात स्वीकार करते हुए महिला चिकित्सक ने माफी मांगी और भविष्य में गलती न दोहराने का आश्वासन दिया।
इस पर डीएम ने सीधी बात कही, कार्रवाई तभी नहीं होगी जब आप स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में भर्ती 50 गंभीर मरीजों का इलाज अपने निजी अस्पताल में बिल्कुल मुफ्त करें।् डीएम की स्पष्ट चेतावनी पर डाक्टर ने सेवा भाव दिखाते हुए शर्त को स्वीकार कर लिया। अब उन्हें दो दिन के भीतर एसआरएन अस्पताल के 50 गंभीर रोगियों की सूची तैयार कर प्रशासन को सौंपनी है, जिनका इलाज वह निश्शुल्क करेंगी।
सीएचसी अधीक्षक करछना डा.वाईपी सिंह की रिपोर्ट के अनुसार, डाक्टर ने ओपीडी में भी लापरवाही को लेकर कई बार चेतावनी दी गई थी लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। मई माह में उन्होंने मात्र तीन आपरेशन ही किया था।