प्रयागराज (राजेश सिंह)। नैनी की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद के पास से रुपये मिलने के बाद जेल की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। जिस बैरक के बारे में कहा जाता है कि यहां पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता वहां बंद माफिया के बेटे के पास पैसे कैसे पहुंचे इसको लेकर हर कोई स्तब्ध है। नकदी मिलने के बाद अली की जेल या बैरक बदलने की चर्चा जोरों पर चल रही है। जेल सूत्रों की माने तो नैनी जेल से मुनासिब बैरक यूपी की किसी भी जेल में नहीं है। नैनी जेल में हाई सिक्योरिटी सेल और हाई सिक्योरिटी बैरक है। अली को पहले हाई स्कियोरिटी सेल में बंद किया गया था। यहां पर अतीक के कई खास गुर्गे भी बंद थे। उमेश पाल की हत्या के बाद अली को अलग करके हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट कर दिया गया। बैरक और सेल जेल के दोनों कोने पर बने हुए हैं। यहां पर 24 घंटे निगरानी रहती है।
सेल में 27 कमरे हैं। सभी अंडाकार शेफ में हैं। एक कमरे में तीन से चार लोगों के रहने की व्यवस्था है। इन कमरों में पीओके के आतंकवादी, बांगलादेशी, उग्रवादी, हार्डकोर्ड नक्सली और कश्मीर के आतंकवादी बंद हैं। इसी में अली को भी रखा गया था, लेकिन उमेश पाल की हत्या के बाद उसे गैंग से अलग करके हाईसिक्योरिटी सेल में बंद किया गया है। यह सेल 12 कमरों की कोठरी है, जो तीन तीन तरफ से बंद है। आने जाने का एक ही रास्ता है। छह बाई आठ के इन कमरों में लोहे की मोटी राड वाले दरवाजे लगे हैं। यह सेल फांसी घर के बगल में स्थित है। अली की जेल अभी बदली नहीं गई है न ही बैरक बदला गया है। क्योंकि जिस सेल में अली बंद है उससे मुनासिब जगह नैनी जेल में तो क्या पूरे यूपी की किसी जेल में नहीं है।
केंद्रीय कारागार नैनी में बड़े अपराधियों को रखने के लिए हाई सिक्योरिटी सेल और हाई सिक्योरिटी बैरक की व्यवस्था है। हाई सिक्योरिटी सेल में 6-8 फीट के 12 कमरे हैं। एक कमरे में एक बंदी को रखा जाता है। यह एक अंडाकार सेल है, जिसमें हर कमरे एक-दूसरे के सामने पड़ते हैं। वहीं हाई सिक्योरिटी बैरक में लगभग 24 कमरे हैं। एक कमरे में तीन से चार बंदियों को रखे जाने की व्यवस्था होती है। हाई सिक्योरिटी बैरक में इस समय उग्रवादी, बांग्लादेशी पाकिस्तानी और पीओके के बंदियों को रखा गया है। हाई सिक्योरिटी सेल और हाई सिक्योरिटी बैरक में रहने वाले बंदियों को विशेष अवस्था पर ही सेल और बैरक से बाहर लाया जाता है।
अली से सोमवार को अधिवक्ता मुलाकात करने पहुंचा था। लेकिन, मंगलवार को डीआईजी ने उसकी बैरक की तलाशी ली तो उसके पास से नकदी बरामद की गई। ऐसे में एक सवाल यह खड़ा होता है कि 24 घंटे में उसकी तलाशी एक बार भी नहीं की गई। जबकि हाई सिक्योरिटी सेल पूर्ण रूप से सीसीटीवी कैमरे से कैद है और बंदी रक्षक व लंबरदारों की वहां ड्यूटी लगाई जाती है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी के लिए वरिष्ठ जेल अधीक्षक कार्यालय के पास एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां पर हर समय बंदी रक्षकों की ओर से पूरे जेल परिसर की निगरानी की जाती है। हालांकि, मामले में जांच बैठा दी गई है।