लखनऊ। राजभवन में 11वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शनिवार को ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ थीम पर प्रशिक्षित योगाचार्यों के निर्देशन में सामूहिक योगाभ्यास का आयोजन किया गया। इस मौके पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि यह जीवनशैली, आत्मिक अनुशासन और सामूहिक कल्याण का मार्ग है। योग हमारे ऋषि-मुनियों की अनुपम देन है, जिसकी महत्ता को आज वैज्ञानिक भी प्रमाणित कर चुके हैं।
राजभवन के बड़े लॉन प्रातः छह बजे से आयोजित योगाभ्यास कार्यक्रम में राज्यपाल ने स्वयं योग साधकों के साथ प्रतिभाग किया और योगासन, प्राणायाम तथा ध्यान का अभ्यास किया। राज्यपाल ने कहा कि जो कार्य आपने प्रारंभ किया है, उसे बंद न करें, इसे आदत बनाएं, जीवनशैली बनाएं और पूरे परिवार के साथ योग को अपनाएं। उन्होंने कहा कि हमें अस्पतालों की नहीं, स्कूलों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है और यह तभी संभव है जब समाज स्वस्थ होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न केवल देश का नेतृत्व कर रहे हैं, बल्कि 140 करोड़ देशवासियों के स्वास्थ्य की चिंता भी उतनी ही संवेदनशीलता से कर रहे हैं। राज्यपाल ने गर्भ संस्कार की महत्ता पर विशेष बल देते हुए कहा कि गर्भ संस्कार की शुरुआत माता के गर्भ से ही होनी चाहिए। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने इस बात को प्रमाणित किया है कि जन्म पूर्व संस्कार बच्चे के भविष्य के व्यक्तित्व, सोच और चरित्र निर्माण पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
यह एक भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसे श्रद्धा और मन से किया जाना चाहिए। आज के आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों ने भी इस तथ्य को सिद्ध किया है कि गर्भ काल के दौरान दिए गए संस्कारों का बच्चे के मस्तिष्क और भावनात्मक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हमारे पूर्वजों का ज्ञान और आज की विज्ञान दोनों ही गर्भ संस्कार को जीवन की मूल आधारशिला मानते हैं।