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झूंसी के 700 वर्ष पुराने कल्पवृक्ष को दीमक ने कर दिया है खोखला

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। आपको तो पता ही होगा कि प्रयागराज के झूंसी में 700 वर्ष से अधिक पुराना कल्पवृक्ष स्थित है। इतनी अधिक आयु के कल्पवृक्ष के उपचार की कवायद तेज हो गई है। वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञों ने इस संरक्षित वृक्ष की बीमारी और उसके उपचार पर मंथन किया। टीम तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी, उसी आधार पर उपचार शुरू होगा।

कल्पवृक्ष को वन विभाग ने हैरिटेज ट्री किया है घोषित

झूंसी में गंगा तट पर स्थित कल्पवृक्ष को वन विभाग ने हैरिटेज ट्री घोषित किया है। दूरदराज से लोग इसे देखने आते हैं। इससे तमाम लोगों की आस्था भी जुड़ी है। फिर भी वन विभाग इसकी देखरेख के नाम पर महज खानापूरी कर रहा था।

टीम द्वारा जांच के दौरान स्थिति यह थी कि पारिजात के मुख्य तने को दीमक चट कर गए थे। इसका काफी हिस्सा खोखला हो गया है, लेकिन जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। दैनिक जागरण ने बीते दिनों इस मुद्दे को उठाया था। इसके बाद डीएफओ अरिवंद कुमार के निर्देश पर आठ सितंबर को रेंजर फूलपुर लक्ष्मीकांत दुबे ने कल्पवृक्ष का निरीक्षण किया था।

इन विशेषज्ञों ने कल्पवृक्ष का लिया जायजा

इसके सही उपचार के लिए विशेषज्ञों से टिप्स लिए जाने थे। वन अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. कुमुद दुबे, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वनस्पति विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. रिकी राय और शुआट्स के माइक्रो बायोलाजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अंकिता गौतम झूंसी पहुंचीं। कल्पवृक्ष का बारीकी से जायजा लिया।

तीन दिन में विशेषज्ञ देंगे रिपोर्ट

वन रेंजर ने बताया कि टीम ने वृक्ष में दीमक लगने की बात कही है। तीन दिन के अंदर विशेषज्ञ इसकी रिपोर्ट देंगे। इसमें कल्पवृक्ष का उपचार भी बताएंगे। उम्मीद है कि इसी सप्ताह कल्पवृक्ष का उपचार हो जाएगा।

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