प्रयागराज (राजेश सिंह)। मोक्ष प्राप्ति की संकल्पना साकार करने के लिए संगम की रेती पर सनातन धर्मावलंबी माघ मेला में त्याग-तपस्या करने जुटेंगे। तीन जनवरी-2026 से आरंभ होने वाले माघ मेला की तैयारी नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाएगी। भूमि समतल कराने के बाद संतों और धार्मिक संस्थाओं को उसे वितरित किया जाएगा।
इसके पहले संतों ने माघ मेला का काम सिर्फ हिंदू ठेकेदारों से कराने की मांग उठाई है। बोले, हिंदू के अलावा सिख, बौद्ध, जैनियों से काम लिया जाय। इन्हीं को दुकान लगाने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके अलावा दूसरे धर्म अथवा पंथ के ठेकेदारों का प्रवेश मेला क्षेत्र में रोका जाय, क्योंकि वह धार्मिक परंपरा को खंडित करते हैं। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम ने कहा कि माघ मेला पवित्र आयोजन है। सनातन धर्मावलंबी पवित्र भाव से जप-तप करने आते हैं। इसमें पवित्रता और शुद्धता का विशेष महत्व है। ऐसे में मेला क्षेत्र में ऐसे व्यक्तियों से काम नहीं लिया जाना चाहिए, जिनके सम्प्रदाय के लोग खाने-पीने में थूक और मूत्र मिलाते हैं।
जैसे मक्का में गैर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है
जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महाराज ने कहा कि जैसे मक्का में गैर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है उसी प्रकार संगम क्षेत्र में गैर सनातनियों का प्रवेश रुकना चाहिए। गैर सनातनियों से माघ, कुंभ व महाकुंभ का काम लेना अक्षम्य है, क्योंकि ऐसे लोगों के अंदर समर्पण होता है न सेवा का भाव। वे पैसा कमाने के लिए आते हैं। मोटी रकम लेने के बावजूद संतों और श्रद्धालुओं को परेशान करते हैं। अबकी ऐसा न होने पाए उसके लिए अधिकारी पहले से सतर्कता बरतें। संतों की भावनाओं का ध्यान न रखा गया तो उसका विरोध किया जाएगा।
अधिकारियों की दिशाहीन नीति के चलते हर बार मेला का स्वरूप बिगड़ता है
परमहंस प्रभाकर जी महाराज ने कहा कि अधिकारियों की दिशाहीन नीति के चलते हर बार मेला का स्वरूप बिगड़ता है। मेला का काम अत्यंत सुस्त शुरू किया जाता है। बाद में उसे निपटाने का प्रयास होता है। फिर गैर सनातनी ठेकेदारों को चुपके से काम थमा दिया जाता है। जो माहभर संतों को परेशान करते हैं। अबकी इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
