प्रयागराज (राजेश सिंह)। संगम नगरी प्रयागराज में इस बार दीपावली का उत्सव एक अनोखी मिसाल बन गया। जहाँ पूरे शहर में दीपों की जगमगाहट थी, वहीं मुस्लिम समुदाय ने भी इस पर्व को भाईचारे और एकता के संदेश के साथ मनाया। दीपोत्सव के पावन अवसर पर मुस्लिम समाज के लोगों ने सुरों की एक शानदार महफ़िल सजा कर समरसता की अनूठी तस्वीर पेश की।
कार्यक्रम में महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर पुराने हिंदी फिल्मी नग़में और ग़ज़लें गाईं। लग जा गले, अजीब दास्तां है ये, चुरा लिया है तुमने जो दिल को, और जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा। जैसे पुराने गीतों पर हर उम्र के लोग झूमते नजर आए। इस सुरमयी शाम ने दीपावली की रौशनी में मेलजोल और मोहब्बत के नए रंग भर दिए।
महफ़िल का आयोजन शहर के एक होटल में किया गया, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ मौजूद रहे। सभी ने एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएँ दीं और मिठाइयाँ बाँटकर खुशियाँ साझा कीं। कार्यक्रम में उपस्थित बुजुर्गों ने कहा कि यह परंपरा अब हर साल निभाई जाएगी ताकि आपसी भाईचारे का यह संदेश समाज में फैलता रहे।
समुदाय के युवाओं ने महफिल में दीप जलाकर सजाया। कई जगह मुस्लिम परिवारों ने अपने हिंदू पड़ोसियों के साथ दीपक जलाकर दीवाली मुबारक कहा। इस पहल ने प्रयागराज की गंगा-जमुनी तहज़ीब को एक बार फिर जीवंत कर दिया।
आयोजन के मुख्य संयोजक ने बताया कि दीपावली सिर्फ रोशनी का त्यौहार नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने का पर्व है। “हम सब एक ही मिट्टी के बने हैं, और जब दीपों की रोशनी हर घर में जगमगाए, तो किसी धर्म या मजहब की दीवार नहीं रहनी चाहिए।
दीपावली की इस सुरमयी रात ने प्रयागराज को यह याद दिलाया कि जब संगीत, प्रेम और एकता की लौ जलती है, तब सच्ची रौशनी पूरे समाज को आलोकित कर देती है।
