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प्रसव पीड़ा से तड़पती सीमा ने जाम में फंसकर तोड़ा था दम


प्रयागराज (राजेश सिंह)। तीन दिन पहले शास्त्री पुल पर लगे लंबे जाम में तकरीबन सवा घंटे तक फंसे रहने के कारण गर्भवती सीमा (25) लगातार वाहन में ही चीखती और तड़पती रही। वह लगातार यही बोले जा रही थी कि हमें जल्दी अस्पताल लेई चला, नाहीं त हमार जान चली जाई। मौके पर असहाय पति चंदन वर्मा भीषण जाम से निकलने के लिए मिन्नतें करता रहा लेकिन कोई मदद नहीं मिली। इस दौरान गाड़ी के भीतर ही सीमा की सांसें उखड़ गईं। यह दर्द है सीमा के परिजनों का। उन्होंने कहना है कि जाम के समय मौके पर कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। अगर होता तो शायद सीमा की जान बच जाती।

सरायइनायत थाना क्षेत्र में बनी गांव निवासी ससुर लालजी गौतम ने बताया कि प्रसव पीड़ा के बाद सीमा को मंगलवार की सुबह गंभीर हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनी ले जाया गया था। वहां पर सुबह तकरीबन सात बजे तक चिकित्सक उपचार करते रहे और फिर जवाब दे दिया। इसके बाद परिजन उसे निजी वाहन से पहले सहसों और फिर झूंसी के त्रिवेणीपुरम स्थित निजी अस्पताल ले गए, लेकिन यहां भी चिकित्सकों ने उन्हें हॉयर सेंटर ले जाने की सलाह दी। फिर परिजन गर्भवती सीमा को शहर के अस्पताल ले जा रहे थे। तभी वे झूंसी थाने से चंद कदम की दूरी पर भीषण जाम में फंस गए।

इस दौरान सीमा लगातार वाहन में चीखती रही। वह यही कहे जा रही थी कि हमें जल्दी अस्पताल लेई चला, बहुत तेज दर्द होत बा, अगर अस्पताल न पहुंचब त हमार जान चली जाई। पत्नी को दर्द से तड़पता देख पति चंदन भीषण जाम के आगे कुछ देर के लिए बेबस खड़ा रहा। तभी उसे किसी ने बताया कि झूंसी थाने के पीछे सरकारी एंबुलेंस खड़ी रहती है। उनसे जाकर मदद ले सकता है। इस पर वह सीमा को गाड़ी में ही छोड़कर झूंसी थाने के पीछे एंबुलेंसकर्मियों के पास पहुंचा लेकिन उन्होंने जाम के कारण मदद से इंकार कर दिया। आरोप है कि एंबुलेंसकर्मियों ने मोटी रकम भी डिमांड की। तब पति चंदन निराश होकर दोबारा अपनी निजी गाड़ी के पास पहुंचा। तब तक सीमा की सांसें थम चुकी थी। किसी तरह जाम खुला तो परिजन सीमा का शव लेकर झूंसी थाने के पीछे से होते हुए आवास विकास कालोनी से निकलकर घर लौट गए।

अगले सप्ताह डीएम से मिलेंगे परिजन, मुआवजे की करेंगे मांग

जाम के झाम में फंसने के कारण बगैर उपचार के जान गंवाने वाली गर्भवती महिला सीमा के परिजन अगले सप्ताह डीएम से मिलेंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे। परिजनों का आरोप है कि अगर उन्हें प्रशासनिक सहायता मिली होती तो गर्भवती सीमा की जान बचाई जा सकती थी। ससुर लालजी गौतम ने बताया कि अगले सप्ताह सोमवार को वे परिवार के अन्य सदस्यों के साथ डीएम से मिलेंगे। इस दौरान वे सीमा के दो बच्चों पुत्र प्रियांश (5) और पुत्री सीरथ (2) के भरण-पोषण, पठन-पाठन और मुआवजे की भी मांग करेंगे।

झूंसी व्यापार मंडल ने परिजनों से मिलकर मदद का दिया भरोसा

जाम में फंसकर प्रसव पीड़िता सीमा की मौत मामले में बृहस्पतिवार को झूंसी व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने सूरज सोनकर की अगुवाई में परिजनों से मुलाकात की। साथ ही हर संभव मदद का भरोसा दिया। इस मौके पर महबूब खान, शिवशंकर निषाद, रेनू केसरवानी, अमित श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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