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भारत-पाक सीमा पर तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास

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जयपुर। भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जैसलमेर के रेगिस्तान से गुजरात के सर क्रीक तक संयुक्त युद्धाभ्यास कर रही हैं।

इसका नाम त्रिशूल दिया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत के सोच पर आधारित है। इसमें विकसित तकनीकों का उपयोग कर सेना दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों को निशाना बना रही है।

सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक अभियान भी शुरू किया है, जिसका नारा है - हर फौजी के पास चील जैसी नजर होगी। इसके तहत ड्रोनों को इस तरह विकसित किया जा रहा है, जो युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

अभ्यास में निगरानी और हमले की क्षमता वाले ड्रोन प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं। जैसलमेर के रेतीले टीलों में दक्षिणी कमान ने ड्रोन बनाने के लिए स्वदेशी सिस्टम तैयार किया है। इसमें ड्रोन का डिजाइन, विकास और निर्माण पर जोर दिया गया है।

सेना का उद्देश्य है कि जंग के लिए तैयार ड्रोन सीधे जवानों के हाथ में दिए जाएं। छोटे ड्रोन दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने, सटीक हमले करने और इलेक्ट्रानिक प्रणाली को जाम करने के लिए तैयार किए जा रहे हैं।

अभ्यास में वायुसेना के राफेल और अन्य लड़ाकू विमान हवाई हमलों का लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। जमीन पर टैंक टी-90 व तोपखाने की तैनाती तथा नौसेना द्वारा तटीय सुरक्षा को मजबूत करना युद्धाभ्यास की रणनीति का हिस्सा है।

तीनों सेनाओं के कमांडर विशेष परिस्थितियों में अपनाई जाने वाली रणनीतियों का अभ्यास कर रहे हैं। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास चल रहा है। 30 अक्टूबर से शुरू यह अभ्यास 10 नवंबर तक चलेगा। 

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