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यूपी में उद्योगों के लिए और सस्ती होगी जमीन

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लखनऊ। राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए भूमि और सस्ती की जाएगी। साथ ही लीज रेंट को कम किया जाएगा। सरकार अलग-अलग श्रेणी के उद्योगों के लिए मेरठ के खेल उद्योग की तर्ज पर अलग-अलग क्लस्टर विकसित करेगी। वहीं औद्योगिक भूमि के आवंटन में स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को प्राथमिकता दी जाएगी। उद्योगों के लिए नीलामी की बजाय लाटरी के जरिए भूखंडों का आवंटन करने की भी नीति तैयार की जा रही है।

बुधवार को औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी की अध्यक्षता में उनके सरकारी आवास पर औद्योगिक सुधारों को लेकर हुई समीक्षा बैठक में उद्योगों की स्थापना की प्रक्रिया को और सरल बनाने की रणनीति तय की गई। बैठक में नन्दी व एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने कहा कि राज्य में औद्योगिक निवेश को और गति प्रदान करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में भूखंड उपलब्ध कराने के नियम और शर्तों को एक समान बनाया जाए। भूखंड के हस्तांतरण की व्यवस्था को समाप्त कर आवंटित भूमि का उपयोग केवल उद्योगों स्थापना के लिए होना चाहिए। मंत्रियों ने निर्देश दिया कि ऐसा न करने वालों के भूखंडों का आवंटन रद किए जाए।

बैठक में यह भी प्रस्तावित किया गया कि सूक्ष्म उद्यमियों को कम किस्तों पर शेड उपलब्ध कराकर प्लग एंड प्ले सुविधा विकसित की जाए। औद्योगिक क्षेत्रों में सामुदायिक केंद्र, फायर स्टेशन, विद्युत उपकेंद्र, डिस्पेंसरी, कैंटीन और पुलिस चौकी जैसी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। मंत्रियों ने इस बात पर सहमति दी है कि उद्योगों के लिए आवंटित भूमि पर लीज रेंट न्यूनतम हो। यदि भूखंड सरकारी भूमि पर हो तो उद्यमियों से केवल विकास शुल्क लिया जाए।

बैठक में यह भी तय किया गया कि किराए के स्थानों पर चल रहे उद्योगों और इकाईयों के विस्तार के लिए भूमि आवंटन में प्राथमिकता दी जाए। बैठक में औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार, सचिव प्रांजल यादव, इन्वेस्ट यूपी के सीईओ विजय किरण आनन्द, लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र सिंह व प्रदेश महामंत्री अमित अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में यह निर्णय भी लिए गए

-फायर एनओसी की सुविधा को सामूहिक प्रणाली के माध्यम से आसान बनाया जाए।

-भूखंड पर कब्जे की अवधि को तीन माह से बढ़ाकर छह माह किया जाए।

-नक्शा पास करते समय ही प्रदूषण, फायर और विद्युत सुरक्षा जैसी एनओसी जारी की जाए।

-औद्योगिक इकाईयों से वसूली गई राशि का उपयोग केवल औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में किया जाए।

-कामगारों के आवास के लिए भूमि के दायरे को भी बढ़ाया जाए।

-वहीं निजी भूमि के आवंटन में कुल लागत और विकास शुल्क पर कम से कम 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाए।

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