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महागठबंधन के मुस्लिम वोटबैंक पर ओवैसी-पीके की नजर

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अररिया। बिहार के पहले चरण में रिकार्ड मतदान की खबरों से सूबे के सियासी अखाड़े के दोनों प्रमुख राजनीतिक खेमों की बढ़ी धड़कनों के बीच एनडीए तथा महागठबंधन दोनों के लिए सीमांचल क्षेत्र की 24 विधानसभा सीटों का चुनाव बेहद अहम हो गया है।

इसीलिए महागठबंधन पिछले चुनाव के झटकों से उबरकर सीमांचल में एक बार फिर वर्चस्व कायम करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा तो एनडीए 2020 का चुनावी इतिहास दोहराने के लिए ।प्डप्ड के साथ इस बार नए खिलाड़ी के तौर पर सामने आए प्रशांत किशोर के जनसुराज की ओर निहारते हुए दिख रहा है।

इन दोनों की की तरफ एनडीए की निगाहों की वजह चुनावी फिजा में मुस्लिम युवाओं की औवेसी के लिए झलक रही सदभावना तो वहीं प्रशांत किशोर की अल्पसंख्यकों को भागीदारी की राजनीति का सहज हिस्सा बनाने की बातें भी उन्हें लुभा रही है। चुनावी फिजा की इस झलक से साफ है कि कांग्रेस तथा राजद को पूरे सीमांचल में एनडीए ही नहीं बल्कि ।प्डप्ड तथा जनसुराज की तिहरी चुनौतियों से रूबरू होना पड़ रहा है।

एनडीए से मुकाबले में औवेसी और प्रशांत किशोर सियासी ब्रेकर न बनें इसके मद्देनजर ही महागठबंधन इन्हें सीमाचंल में वोट कटवा से लेकर भाजपा के मददगार के रूप में पेश कर विशेष रूप से अल्पसंख्यक मतों में बिखराव रोकने के लिए जोर लगा रहे हैं।

पूरी ताकत झोंक रहे महागठबंधन के नेता 

बिहार की सत्ता में वापसी के लिए महागठबंधन सीमांचल में चुनावी वर्चस्व बनाना बेहद अहम मानता है और गुरूवार को अररिया की एक चुनावी सभा में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी तथा प्रदेश कांग्रेस के नेता शकील अहमद खान ने भटकने की बजाय एकजुट होकर बदलाव के लिए वोट करने की बात कह इसका संकेत दिया।

इसमें संदेह नहीं कि 2020 में सीमांचल की 24 में से 12 सीटों पर जीत के सहारे ही एनडीए ने महागठबंधन की सत्ता की उम्मीदें तोड़ दी थी। इसीलिए तेजस्वी यादव ही नहीं कांग्रेस के प्रदेश तथा राष्ट्रीय स्तर के नेता यहां लगभग हर विधानसभा सीटों पर प्रचार के लिए जा रहे।

मुस्लिम युवा ओवैसी-किशोर की ओर?

कांग्रेस ने अपने मुखर राज्यसभा सांसद इमरान किदवई सरीखे कुछ नेताओं को तो चुनाव तक क्षेत्र में ही कैंप करने के लिए तैनात कर रखा है। अररिया में राहुल गांधी की सभा में आए महागठबंधन के कई समर्थक पार्टी के नेताओं को औवसी तथा प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवारों के वोट काटने की आशंकाओं की अनदेखी नहीं करने की चेतावनी देते हुए सुने गए।

वैसे आम मतदाताओं के बीच भी सीमाचंल में बन रहे चुनावी समीकरणों को लेकर सरगर्मी से चर्चा है और इसकी झलक अररिया बस स्टैंड पर उतरे किशनगंज के युवा मोहम्मद असलम की बातों से भी मिली। उनका कहना था कि जो पार्टियां मुसलमानों के हित की बात करती हैं उन्होंने सीमांचल की हालत तो बदली नहीं और यह बिहार का सबसे पिछड़ा गरीब इलाका है।

ऐसे में प्रशांत किशोर बिना भेदभाव भागीदारी की बात करते हैं तो हमें नए विकल्प की ओर क्यों नहीं देखना चाहिए। हालांकि उनकी बात से तत्काल असहमति जताते हुए अररिया के युवा फिरोज आलम कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर समुदाय की आवाज उठाने वाले नेता को मजबूत करना समय की मांग है और ओवैसी के अलावा कोई अन्य इस कसौटी पर फिट नहीं बैठता।

साथ ही वे यह कहने से नहीं चूकते कि कांग्रेस-राजद को केवल मुस्लिमों का वोट चाहिए तो हम क्यों किसी के गुलाम रहें। सीमाचंल में मुस्लिम युवाओं के नए प्रयोग के प्रति बन रहे आकर्षण के बीच समुदाय के वरिष्ठ तथा बुर्जुग लोगों का साफ मानना है कि महागठबंधन ही उनके लिए एकमात्र विकल्प है।

कांग्रेस का अल्पसंख्यक वोटरों पर जोर

राहुल गांधी की रैली में अररिया के निकट के गांवों से पहुंचे कलीमुद्दीन तथा मोहम्मद करीम जैसे कई लोगों ने कहा कि हम महागठबंधन के साथ मजबूती से खड़े हैं और औवेसी तथा किशोर तो भाजपा का गेम खेल रहे हैं। समाज के बड़े बुर्जुग युवाओं को औवेसी-किशोर के चुनावी दांव के इस छिपे एजेंडे के बारे में समझा रहे हैं।

मालूम हो कि सीमांचल के चार जिलों में अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगज में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 40 से लेकर 65 प्रतिशत के बीच है। बीते तीन दशक से यहां कांग्रेस तथा राजद का वर्चस्व रहा है मगर एनडीए ने 2020 में बड़ी सफलता हासिल कर इस सियासी ट्रेंड को बदल महागठबंधन को सत्ता की दहलीज के बाहर रोक दिया था।

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