प्रयागराज (राजेश सिंह)। मांडा के आहोपुर नेवढ़िया गांव में भगवती प्रसाद शुक्ला के आवास पर चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य मारुति नंदन महराज ने अंतिम दिन सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन किया।उन्होंने कहा कि सुदामा संसार में सबसे अनोखे भक्त रहे हैं। वह जीवन में जितने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। मारुति नंदन महराज ने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो उन्होंने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए। इस अवसर पर देवी प्रसाद शुक्ला, उर्फ़ सुद्धू हरिनारायण शुक्ला, उर्फ़ सप्पू, मणिशंकर शुक्ला, संजय शुक्ला, सूर्यकांत शुक्ला वरिष्ठ पत्रकार हरीप्रसाद पाण्डेय, प्रधान संघ अध्यक्ष प्रतिनिधि राजमणि द्विवेदी, तुलसीदास तिवारी,सुरेश सिंह लल्लू शुक्ला, राधेश्याम बिन्द सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और श्रद्धालु उपस्थित रहे।
