लखनऊ (राजेश सिंह)। लखनऊ में एक रईसज़ादे की 'शोले' वाली सजा! अरे भाई, ये लखनऊ की गोमतीनगर विस्तार की गलियां नहीं, बॉलीवुड की कोई एक्शन फिल्म का सेट लग रहा था! आधी रात, चांदनी रात में एक चमचमाती बीएमडब्ल्यू दौड़ रही है। हूटर बज रहा है – वीं-वूं-वीं! मानो कोई मंत्री जी का काफिला गुजर रहा हो। ऊपर से स्टीकर चिपका, विधायक! अंदर बैठा रईसज़ादा, शीशे नीचे करके हवा खा रहा है, सोच रहा है , "बसंतपुर वाला बाबू मैं, जो चाहूं वो करूं!" लेकिन भाई, यहां तो उत्तर प्रदेश पुलिस का गब्बर सिंह तैनात है , इंस्पेक्टर सुधीर अवस्थी! इंस्पेक्टर साहब कार रोकते हैं। रोशनी की किरणें पड़ती हैं रईसज़ादे के चेहरे पर। इंस्पेक्टर गरजते हैं,"अरे ओ संभाजी... लग्जरी गाड़ी है, हूटर बज रहा है, विधायक लिखा है... कौन हो तुम!विधायक हो! लड़का घबराकर, हाथ जोड़कर,"नहीं सर, गाड़ी खरीदी है... हूटर पहले से लगा है... विधायक भी पहले से लिखा था..."
इंस्पेक्टर की आंखें तरेरती हैं,तो हटाया क्यों नहीं!!"लड़का अब रोने की एक्टिंग, "सर गलती हो गई... माफ कर दीजिए..."इंस्पेक्टर मुस्कुराते हैं, लेकिन वो मुस्कान जिसमें दांत दिखते हैं, खतरे की! "ऐसी गलती के लिए तो पुलिस है... पुलिस सिखाएगी तुम्हें कि दोबारा गलती नहीं करनी है... कितने आदमी थे!अरे, सिर्फ तू! चलो, गाड़ी सीज़!" और बस, दरोगा और सिपाही दौड़े। बीएमडब्ल्यू पर ताला! रईसज़ादा की घिग्गी बंध गई। पहले तो भोकाल मचा रहा था, "मेरा बाप कौन है!" वाला सीन। अब, "सर, एक मौका और... मैं सुधर जाऊंगा!" लेकिन इंस्पेक्टर सुधीर अवस्थी तो वो शेर हैं, जो जंगल के राजा नहीं, कानून के राजा हैं। बड़े-बड़े स्टंटबाजों को आसमान के तारे दिखा चुके हैं। फर्जी विधायक बनकर हूटर बजाना! "ये पुलिस की चौकी है, यहां फर्जीवाड़ा नहीं चलता... जय-वीरू भी आ जाएं, तो भी गाड़ी सीज़! सच्चाई है भाई! आजकल के रईसज़ादे सोचते हैं , पैसा है तो भोकाल है। हूटर लगा लो, स्टीकर चिपका लो, रात में राजा बन जाओ। लेकिन यूपी पुलिस के सामने! "तुम्हारा नाम क्या है, बेटा! ...फर्जी! अब जाओ, थाने में 'कुत्ते-बिल्ली' वाला गाना गाओ!" इंस्पेक्टर सुधीर जैसे अफसर बताते हैं ,कानून अमीर-गरीब नहीं देखता, सिर्फ गलती देखता है। और गलती की सजा! "गाड़ी जब्त, भोकाल खत्म... अब पैदल चलो, विधायक जी! इंस्पेक्टर की जीत! रईसज़ादा की हार! और हम दर्शकों का मनोरंजन। "ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर... नहीं, ये गाड़ी मुझे दे दे रईसज़ादे!" लखनऊ की रातें अब सुरक्षित , क्योंकि सुधीर अवस्थी हैं ना! बस, अगली बार हूटर बजाओ तो असली वाला बजाओ... वरना पुलिस का डंडा बज जाएगा! पिछवाड़े!
