नई दिल्ली। दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई। धमाका मेट्रो गेट नंबर 1 के पास चलती गाड़ी में हुआ, ये धमाका आतंकी घटना है या नहीं, इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई थी। मगर ये ऐसे समय हुआ, जब फरीदाबाद से लेकर श्रीनगर और लखनऊ तक फैले आतंकी नेटवर्क के तीन डॉक्टरों समेत आठ लोग पकड़े जाने का दावा पुलिस ने किया है और फरीदाबाद से करीब 2,900 किलो विस्फोटक भी बरामद किया गया है। इसके तार कश्मीर, हरियाणा और यूपे तक फैले हुए है। इससे साफ होता है कि देश भर में कई आतंकी मॉड्यूल सक्रिय है, जो टेरर फैलाने की कोशिश में लगे हुए है। ब्लास्ट में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल होने की आशंका जताई गई है। राजधानी दिल्ली कई बार देश के सबसे भयावह आतंकी हमलों की गवाह रही है, एक बार फिर दहशत के उसी पुराने साये में लौट आई है। दिल्ली के ऐतिहासिक बाजार, स्मारक और सार्वजनिक स्थल समय-समय पर हिंसा की आग में झुलसते रहे हैं, जिनकी यादें आज भी शहर की सामूहिक स्मृति में गहरी दर्ज हैं।
अब लाल किले के पास हुआ ताजा धमाका एक बार फिर दिल्ली के उन पुराने जख्मों को ताजा कर गया है। शहर फिर से उसी डर और अनिश्चितता के माहौल में है, जो पहले कई आतंकी वारदातों के बाद महसूस हुआ था। दिसंबर 2000 में आतंकी संगठन ने लाल किले के भीतर फायरिंग की थी, जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी। सिर्फ एक साल बाद दिसंबर 2001 में संसद पर हमला हुआ, जिसमें नौ सुरक्षा कर्मियों और स्टाफ की जान चली गई।
दिल्ली मे 1996 से अब तक के विस्फोट
21 मई 1996ः लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट में तेज - विस्फोट की चपेट में आकर 16 लोगों की मौत और 39 घायल हुए थे ।
9 जनवरी 1997ःआईटीओ स्थित ओल्ड दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर के सामने विस्फोट हुआ, जिसमें 50 लोग जख्मी हुए थे।
1 अक्टूबर 1997ः सदर बाजार के भीड़-भाड़ वाले एरिया में दो विस्फोट हुए, जिसकी चपेट में आकर 30 घायल हुए।
10 अक्टूबर 1997ः शांति वन, कौड़िया पुल और किंग्सवे कैंप में तीन ब्लास्ट हुए। एक की मौत और 16 जख्मी।
18 अक्टूबर 1997ः रानी बाग मार्केट में दो बम विस्फोट हुए। एक शख्स की जान गई और 23 घायल हुए थे।
26 अक्टूबर 1997ः करोल बाग एरिया में दो ब्लास्ट हुए, जिनमें एक की जान गई, जबकि 34 घायल हो गए थे।
30 नवंबर 1997ः लाल किला इलाके में दोहरे विस्फोट में तीन की मौत हुई, जबकि 70 से ज्यादा घायल हुए थे।
30 दिसंबर 1997ः पंजाबी बाग के करीब एक बस में हुए ब्लास्ट में चार सवारियों की मौत और 30 जख्मी थे।
26 जुलाई 1998ः कश्मीरी गेट प्ैठज् में खड़ी बस में हुए ब्लास्ट में दो की मौत और तीन घायल हुए थे।
18 जून 2000ः लाल किला के करीब हुए विस्फोट मे एक आठ साल की बच्ची समेत दो की मौत और कई जख्मी।
22 मई 2005ः दिल्ली के सत्यम और लिबर्टी हॉल में हुए धमाके में दो की मौत और 60 से ज्यादा घायल हुए थे।
29 अक्टूबर 2005ः सरोजिनी नगर मार्केट, गोविंदपुरी बस अड्डा और पहाड़गंज ब्लास्ट में 60 की मौत और 100 से ज्यादा घायल।
14 अप्रैल 2006ः पुरानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के परिसर में दो ब्लास्ट हुए, जिनमे 14 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
13 सितंबर 2008ः कनॉट प्लेस, बाराखंबा रोड, गफ्फार मार्केट और जीके-1 में हुए ब्लास्ट में 24 की मौत और 100 से ज्यादा जख्मी।
27 सितंबर 2008ः कुतुब मीनार के करीब महरौली फूल मार्केट के पास विस्फोट हुआ, जिसमे - तीन की मौत और 21 जख्मी हुए।
25 मई 2011ः दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर खड़ी एक कार में मामूली ब्लास्ट हुआ था, जिसकी चपेट में कोई नहीं आया था।
7 सितंबर 2011ः दिल्ली हाई कोर्ट के गेट नंबर-5 के बाहर सूटकेस बम ब्लास्ट हुआ, जिसमें 17 की मौत और 76 जख्मी हुए थे।
कौन दोषी, कौन बरी
1996 में लाजपत नगर मार्केट में हुए बम विस्फोट में आतकवादी संगठन जम्मू कश्मीर इस्लामिक (लिबरेशन) फ्रंट के छह सदस्यों को देषी ठहराया गया था। अप्रैल 2012 में, अदालत ने मौहम्मद नौशाद मेहम्मद अली भट्ट और मिर्जा निसार हुसैन को मौत की सजा सुनाई। जावेद अहमद खान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
2005 के सत्यम सिनेमा और लिबर्टी सिनेमा बम विस्फोट मामले ने मार्च 2022 में अदालत ने एक व्यक्ति को बरी कर दिया। उसे तब कथित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशन का सदस्य बलय गया था।
2010 में जामा मस्जिद ब्लास्ट मामले में 2017 में कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सह-सस्थापक यासीन भटकल और अन्य 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया। हालाकि, आतंकी संगठन के तीन कथित सदस्यौ अफ्फाक, अब्दूस सबूर और रियाज अहमद सईदी को सबूते के अभाव में बरी कर दिया गया। धमाके के बाद आईएन के दो संदिग्धों ने एक टूरिस्ट क्स से मस्जिद के गेट के पास उत्तर रहे विदेशी सैलानियों पर गोलियां बरसा दी थी।
2008 में हुए 5 जगहो पर हुए बम धमाको से जुड़े केस में फरवरी 2018 में अदालत ने इंडियन मुजाहिद्दीन के सह-संस्थापक यसीन भटकल और उसके साथी के खिलाफ यहा दिल्ली में सितंबर आरोप तय किए।
पड़ोस में हलचल
जब भी इस तरह की कोई वारदात होती है, तो झूठी सूचनाएं और अफवाहें फैलाने वाला तंत्र सक्रिय हो जाता है। इससे सावधान रहने की जरूरत है। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश और नेपाल-श्रीलंका तक हालात जटिल बने हुए हैं। भारत इकलौता देश है, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से स्थिर है। वह दुनिया में सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है और यह रफ्तार थमनी नहीं चाहिए।
