प्रयागराज (राजेश सिंह)। एक बार फिर मंडल के सबसे बड़े अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) चिकित्सालय के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा। यह भी आरोप लगा कि धरती के भगवान का मानवता से दूर-दूर तक वास्ता नहीं रह गया है। यह आरोप लगाया है उस मासूम के माता-पिता व अन्य स्वजनों ने, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इलाज में डॉक्टरों पर लापरवाही का बरतने का भी आरोप लगा है। एसआरएन अस्पताल में पांच साल के बच्चे की मौत पर शनिवार को परिवार के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही और खराब बर्ताव का आरोप लगाकर स्वजन ने अस्पताल से बाहर निकाल कर महात्मा गांधी मार्ग पर जाम लगा दिया। सड़क पर ही बच्चे के माता-पिता लोट-लोट कर रोने लगे। उनकी पीड़ा देख अन्य लोग भी आ गए और नारेबाजी हुई। थोड़ी देर में आए डीसीपी ने जाम हटवाया। बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
यमुनानगर के अमिलिया गांव में रहने वाले गुड्डू ने बताया कि उसने अपने बेटे वंश को 30 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया था। बच्चा छत से सरपत का गट्ठर नीचे फेंक रहा था तभी पास से निकले तार से करंट लग गया। उसे इलाज के लिए एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुड्डू ने अस्पताल में इलाज में डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि शनिवार सुबह करीब 6:00 बजे डॉक्टर को बुलाने गया था। एक डॉक्टर आया और बच्चे के सीने पर पहले तो कई बार दबाया फिर मूठे से मारने लगा। इसके बाद कहा कि बाहर निकलो। परिवार को बाहर निकालने के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया। आरोप यह भी है कि बच्चे का शव गायब कर दिया गया।
महात्मा गांधी मार्ग पर रास्ताजाम के दौरान लोगों ने नारेबाजी भी की। लोगों और बच्चे के परिवार के सदस्यों ने डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की। इस दौरान सड़क पर यातायात भी काफी देर के लिए प्रभावित रहा। सूचना मिलने पर डीसीपी वहां पहुंचे और लोगों को समझा-बुझाया। इसके बाद पुलिस ने बच्चे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। बच्चे के मामा अभिमन्यु कुमार ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने बहुत मारा-पीटा। एक डॉक्टर ने अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि यहां 100 लोग रोज मरते हैं। इसी का विरोध करने पर सब डॉक्टरों ने मिलकर पिटाई की।

