यूपी में भर्तियां पारदर्शी होंगी, असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा की जांच कराएंगे
प्रयागराज (राजेश सिंह)। यूपी के डीजीपी रहे प्रशांत कुमार अब उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष बन गए हैं। शुक्रवार दोपहर लखनऊ से प्रयागराज पहुंचे और कार्यभार संभाला। दैनिक भास्कर से उन्होंने कहा- आयोग को जीरो टॉलरेंस नीति के तहत चलाने का प्रयास करेंगे। 16-17 अप्रैल को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा हुई। अभ्यर्थियों ने रिजल्ट के बाद आरोप लगाए हैं कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है। सिर्फ तीन जिलों में ज्यादा चयन हुआ है, जिनमें मेरठ, मथुरा और गोरखपुर के छात्र शामिल हैं। यह परीक्षा ब्लैकलिस्टेड कंपनी से कराई गई है।
छात्र परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इस पर प्रशांत कुमार ने कहा- ऐसी स्थिति में परीक्षा और रिजल्ट की पहले जांच कराएंगे। रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेंगे। मेरी पहली प्राथमिकता होगी कि जो भी काम यहां (आयोग) से हों, वह पूरी तरह पारदर्शी तरीके से हों। शासन की जो नीति है, उसके अनुरूप हों। जो चीजें पेंडिंग हैं, उन्हें कैसे पूरा किया जाएगा, इस पर फोकस होगा।यह बड़ी परीक्षा है। इसमें लाखों परीक्षार्थी शामिल होंगे। परीक्षा में ज्यादा समय नहीं है, ऐसे में आयोग के अफसरों के साथ बैठक करके विमर्श किया जाएगा। परीक्षा को लेकर जल्द ही स्पष्ट निर्णय लिया जाएगा। ऐसी स्थिति में इस परीक्षा और इसके घोषित परिणाम की जांच कराई जाएगी। इसके आधार पर साक्षात्कार कब कराया जाएगा, उसका निर्णय लेंगे। इस आयोग का मुख्य काम भर्तियों का है। इसलिए जो भी बैकलॉग है, उसे कैसे पूरा किया जाए, इसके लिए आयोग के सदस्यों और अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे। एक टाइम टेबल निर्धारित किया जाएगा। उसके हिसाब से आगे काम करेंगे। इस पर ध्यान दिया जाएगा कि छात्रों को पारदर्शी तरीके से मेरिट बेस्ड भर्तियों का फायदा मिले। जिस तरह शासन की स्पष्ट नीति है, उसके हिसाब से मेहनती अभ्यर्थी चयनित हों।
प्रशांत कुमार हैं आयोग के चौथे अध्यक्ष
दरअसल, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भंग करके अगस्त 2023 में नया उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन किया गया था। उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती का काम इसी आयोग के पास है। पिछले करीब 2 सालों में प्रशांत कुमार चौथे अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं।
इससे पहले एम.पी. अग्रवाल को 20 मार्च 2023 को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया था। उनका कार्यकाल करीब 8 महीने यानी 4 सितंबर 2024 तक रहा। इसके बाद प्रो. कीर्ति पांडेय 5 सितंबर 2024 को अध्यक्ष बनाई गईं, जो करीब एक साल यानी 26 सितंबर 2025 तक रहीं, लेकिन पूरा कार्यकाल विवादों में रहा।
उनके इस्तीफे के बाद रिटायर्ड जिला जज रामसुचित को 26 सितंबर 2025 को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। अब 19 सितंबर 2025 को यूपी के पूर्व क्ळच् प्रशांत कुमार ने अध्यक्ष पद की कमान संभाली है।
आयोग के प्रति प्रतियोगी छात्रों की है नाराजगी
आयोग के गठन के 2 साल से ज्यादा के समय बीत चुके हैं। लेकिन यह आयोग एक भी भर्ती कराने में सफल साबित नहीं हो सका। एक साल से ज्यादा समय से लगातार प्रतियोगी छात्र आयोग के गेट पर प्रदर्शन करते नजर आए। स्थिति यह है कि टीजीटी-पीजीटी जैसी परीक्षाओं को 4 बार टाला गया लेकिन परीक्षा नहीं हो सकी।
यूपी सरकार ने 2024 में उच्च और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग का विलय कर दिया था। दोनों आयोग को मिलाकर यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग बनाया था। पहली अध्यक्ष प्रोफेसर कीर्ति पांडेय थीं। उन्होंने हाल ही में इस्तीफा दे दिया था। अब प्रशांत कुमार आयोग के दूसरे अध्यक्ष होंगे।