प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हत्या मामले में उम्र कैद की सजा भुगत रहे उमाशंकर पासवान तथा छह अन्य की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। सजा भी निलंबित कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि सजा के खिलाफ अपील की शीघ्र सुनवाई की उम्मीद नहीं है। इसलिए याचीगण जमानत पाने के हकदार हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ तथा न्यायमूर्ति विनय कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने याची की अधिवक्ता रश्मि खिलवानी को सुनकर दिया है। याचीगण के खिलाफ थाना पुरन्दरपुर, महाराजगंज में एफआइआर दर्ज की गई थी। सत्र अदालत ने अपराध का दोषी मानते हुए उम्रकैद सहित अन्य सजा सुनाई है।
मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि शिकायतकर्ता के घर के सामने गांव सभा की जमीन है। इस पर कब्जे को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष हुआ। इलाज के दौरान दो लोगों की मौत हो गई। अभियुक्तों पर आरोप है कि लाठी ,बल्लम हथियारों से लैस होकर जमीन पर 28 जून 2012 को दोपहर कब्जा करने की कोशिश की।
याची का कहना है कि मुख्य अभियुक्त झिनक है जिसकी विचारण के दौरान मौत हो चुकी है। याचियों की भूमिका स्पष्ट नहीं है। वे छह जनवरी 2024 से जेल में बंद हैं। सजा के खिलाफ अपील की शीघ्र सुनवाई होने की संभावना नहीं है। कोर्ट ने कहा- इस कोर्ट में रोज सौ केस लगते हैं जिनका तय हो पाना संभव नहीं है। निकट भविष्य में इस अपील की सुनवाई की संभावना नहीं है।
कोर्ट ने जमानत अर्जी मंजूर करते हुए अपील का पेपर बुक तैयार करने का निर्देश दिया है और रिहा होने के एक महीने के भीतर आधी जुर्माना राशि जमा करने तथा शेष की वसूली पर रोक लगा दी है।
