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शनिवार के दिन ऐसे करें शनिदेव की पूजा, बनेंगे बिगड़े काम

 

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surajvarta.in

धर्म-आस्था डेस्क आज शनिवार 19 फरवरी 2022 है।शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है. वे व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. इनकी बुरी नजर से व्यक्ति पर बुरा असर पड़ता है. यदि किसी कारणवश आप शनिदेव महाराज के मंदिर व पीपल के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो आप शनिदेव की अराधना इस प्रकार घर पर कर सकते हैं.

 शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है. वे व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. इनकी बुरी नजर से व्यक्ति पर बुरा असर पड़ता है. किन-किन उपायों से शनि देव की बुरी नजर से बचा जा सकता है. आइये जानें.

घर पर कैसे करें शनिदेव की पूजा

यदि किसी कारणवश आप शनिदेव महाराज के मंदिर व पीपल के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो आप शनिदेव की अराधना इस प्रकार घर पर कर सकते हैं। सर्वप्रथम सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं. अब स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारंण करें. घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और गणेश जी के पूजन से पूजा प्रारंभ करें. भगवान शिव औऱ हनुमान जी को फल और फूल चढ़ाएं. पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें। पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें. उपवास के बाद भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें.

शनिदेव पूजा के मंत्र

ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि।।

तन्नो मंद: प्रचोदयात।।

शनि यंत्र स्थापित करें

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना कर उसका विधिपूर्वक पूजन करें. इसके बाद हर दिन शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजन करें और सरसों के तेल से दीपक जलाएं. तथा नीला या काला फूल चढ़ाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव खुश होते हैं.

सरसों के तेल का दीपक

शनिवार को शाम के वक्त बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। फिर दूध और धूप चढ़ाएं.

शनिवार को करें शनि देव की आरती, बन जाएंगे सारे बिगड़ें काम

 शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने का विधान है. शनि देव की आरती करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट और संकट दूर करते हैं. आइए जानते शनि देव की आरती और उसकी महिमा के बारे में...

भगवान शनिदेव की आरती-

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

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