प्रयागराज (राजेश सिंह)। सपा के वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता रेवती रमण का पार्टी तथा यमुनापार की सियासत में पिछले 40 वर्षों से महत्वपूर्ण दखल रहा है। वह करछना से विधायक रहने के साथ इलाहाबाद से सांसद भी रहे। उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता डॉ.मुरली मनोहर जोशी को हराया था। सांसद रेवती रमण सिंह को राज्यसभा के लिए टिकट नहीं मिलने से सपा के भीतर तथा यमुनापार की सियासत गरमा गई है। सपा में बगावत शुरू हो गई है तो रेवती रमण के सुर भी बदल गए हैं। भविष्य में सियासी भूमिका को लेकर भाजपा में जाने और सभी दरवाजे खुले होने की बात उन्होंने कही है। कहा है कि समर्थकों संग वार्ता के बाद वह अपने पत्ते खोलेंगे। सपा के वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता रेवती रमण का पार्टी तथा यमुनापार की सियासत में पिछले 40 वर्षों से महत्वपूर्ण दखल रहा है। वह करछना से विधायक रहने के साथ इलाहाबाद से सांसद भी रहे। उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता डॉ.मुरली मनोहर जोशी को हराया था। इस समय वह राज्यसभा सदस्य हैं और अगले महीने उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। रेवती रमण के बाद करछना से उनके पुत्र उज्जवल रमण सिंह विधायक रहे। हालांकि इस बार वह चुनाव हार गए। रेवती के सियासी कद को देखते हुए राज्यसभा के लिए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी लेकिन, टिकट नहीं मिला।इसके बाद कई तरह की अटकलें भी शुरू हो गई हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान ही उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा रही। अब राज्यसभा के लिए सपा से टिकट नहीं मिलने से एक बार फिर उनके भाजपा में जाने की चर्चा है। हालांकि भाजपा के पास सांसद डॉ.रीता बहुगुणा जोशी, केशरी देवी पटेल जैसे कई नेता हैं, जिनकी यमुनापार में अच्छी पकड़ है। ऐसे में भाजपा में उनकी जगह प्रमुख नेताओं के रुख से ही तय होगा। रेवती रमण का कहना है कि अखिलेश यादव से वार्ता हुई थी लेकिन उन्होंने टिकट के योग्य नहीं समझा होगा। अखिलेश ने अपना निर्णय सुना दिया है। नए परिदृश्य में आगे क्या करना है अभी तय नहीं हुआ है। इस संबंध समर्थकों से वार्ता की जा रही है। भाजपा में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तक किसी से वार्ता नहीं हुई है लेकिन इससे उन्होंने इंकार भी नहीं किया। रेवती रमण सिंह को राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने से सपा में नाराजगी बढ़ गई है। इतना ही नहीं, इस्तीफे का दौर भी शुरू हो गया है। रेवती रमण के प्रतिनिधि तथा महानगर उपाध्यक्ष विजय वैश्य ने पद के साथ पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने लोहिया ट्रस्ट की सदस्यता भी छोड़ दी है। हमेशा रेवती के साथ रहने वाले एक अन्य समर्थक ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा सरकार की तारीफ की है। इनके अलावा कई अन्य नेता भी हैं, जो रेवती के लिए पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं। इन नेताओं के इस रुख को रेवती रमण के भावी सियासी कदम के रूप में भी देखा जा रहा है।