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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी बवाल : आगजनी-पथराव व फायरिंग के बाद तनाव, पुलिस अलर्ट

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सोमवार को हुए बवाल के बाद परिसर के भीतर और बाहर पुलिस का सख्त पहरा लगा दिया गया है। सिविल पुलिस के साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स और पीएसी के जवानों को तैनात किया गया है। माहौल तनावपूर्ण है जिसे देखते हुए फोर्स भी पूरी तरह से अलर्ट है। उधर छात्र भी यूनियन भवन पर धीरे-धीरे एकजुट हो रहे हैं।
छात्रों में गुस्सा और आक्रोश है। वह हमलावर आरोपी सिक्योरिटी गार्ड और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ काफी नाराज हैं। पुलिस अधिकारी विश्वविद्यालय में शांति बरकरार रखने के लिए लगातार योजना तैयार कर अमल कर रहे हैं। इसके साथ ही उपद्रव में शामिल युवकों की पहचान सीसीटीवी और वीडियो फुटेज से की जा रही है।
आगजनी पथराव की घटना के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय आज बंद है। कुलसचिव एनके शुक्ला ने बताया कि विश्वविद्यालय में अराजकता के हालात को देखते हुए कुलपति के निर्देश पर विश्वविद्यालय को बंद रखने का निर्णय लिया गया है।
विश्वविद्यालय में बवाल होने के बाद एक बार फिर पुलिस ने आपराधिक प्रवृत्ति के छात्रों की तलाश तेज कर दी है। खासकर ऐसे छात्र जिनके खिलाफ पहले से मुकदमे दर्ज हैं, उनकी गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाया जा रहा है। हास्टल से लेकर डेलीगेसी में रहने वाले कतिपय उपद्रवी छात्रों के बारे में पुलिस के साथ ही एलआइयू की टीम जानकारी जुटा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विश्वविद्यालय में पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ करने के दौरान तमाम नकाबपोश युवक भी शामिल थे। कुछ छात्रों की भीड़ को उकसा रहे थे तो कुछ माहौल को खराब कर रहे थे। ऐसे में आशंका जताई गई है कि उपद्रव करने में आपराधिक प्रवृत्ति के छात्रों का भी हाथ हो सकता है। पुलिस की एक टीम सीसीटीवी और वीडियो फुटेज के आधार पर बवाल करने वालों की पहचान करने में जुटी हुई है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कांग्रेस नेता व पूर्व छात्रनेता विवेकानंद समेत छात्रों पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा हमले की घटना की इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने निंदा की है। अधिवक्ताओं द्वारा इस विषय पर एक बैठक आयोजित हुई, जिसे संबोधित करते हुए अभ्युदय त्रिपाठी ने कहा कि, यह लोकतंत्र पर कुठाराघात है, विश्वविद्यालय के इतिहास में यह पहली घटना है जब निजी सुरक्षाकर्मियों नेइस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया है। कहा कि कुलपति और प्रशासन दोनों ही विश्वविद्यालय के छात्रों और छात्रहितों के प्रति असंवेदनशील है।

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