डीएम, कमिश्नर या सीएम योगी भी हमारा कुछ नहीं कर सकते: एकाउंटेंट
प्रयागराज (राजेश सिंह)। सरकारी आदेशों की अवहेलना कर जिम्मेदार लोग प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल कर सरकार को चूना लगा रहे हैं। सवाल जवाब पर डीसी मनरेगा की ढाल बन एकाउंटेंट ने कहा डीएम, कमिश्नर तो क्या सीएम योगी भी हमारा कुछ नहीं कर सकते।
सरकार की मंशानुसार प्राइवेट सेक्टर से सरकारी विभागों में अधिकारियों के चलने के लिए जो भी वाहन अधिग्रहित किये जायें ऐसे वाहनों का रजिस्ट्रेशन व्यवसायिक होना जरूरी है। आदेशों की खुले आम अवहेलना कर व्यवसायिक रजिस्ट्रेशन के बिना अपने चहेतों को लाभ देने के लिए वाहनों का इस्तेमाल कर जिम्मेदार लोग सरकार को चूना लगा रहे हैं।
इसी कड़ी में बता दें कि प्रयागराज जनपद के विकास भवन में स्थित मनरेगा कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारी कपिल कुमार, डीसी मनरेगा वर्तमान में जिस वाहन बोलेरो का इस्तेमाल कर रहे हैं वह बोलेरो संभागीय परिवहन कार्यालय प्रयागराज में प्राइवेट में रजिस्टर्ड है।
जब इस सम्बन्ध में सूरज वार्ता हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के प्रयागराज संवाददाता राजेश सिंह ने श्री कुमार से इस बावत जानकारी के सवाल किया तो गोल गोल घुमा कर इधर उधर की बात करते रहे डीसी मनरेगा और सही जबाब देने में असमर्थ दिखे। अधिकारी ने अपने विभाग के तथा कथित एकाउंटेन्ट जो वर्षों से अंगद पाँव जमाये इसी कुर्सी पर विराजमान, मठाधीश शुक्ला आगे आकर पत्रकारों को धमकाते हुए कहने लगे मैं यहीं का हूँ मेरे विभाग में सरकार के आदेश नहीं, मेरे आदेश चलते हैं। मेरा नाम लिख लिजिए और जाकर सीडीओ, डीएम, कमिश्नर यहाँ तक की मुख्यमंत्री को मेरा नाम बताइये कोई कुछ नहीं कर सकता। जब पत्रकारों ने पूँछा डीसी मनरेगा से पूँछा कि हम लोग आपसे बात करने आये हैं न कि आपके मातहत कर्मी से इस दौरान डीसी मनरेगा अधिकारी जहाँ अपनी जिम्मेदारी का ठीकरा जेम पोर्टल के तथा कथित जीएम का मोबाइल नम्बर दिये गये मोबाइल पर बात की गई तो स्पष्ट जबाब मिला कि सरकार की मंशा है कि जो भी साधन संसाधन लिए जायँ वह रजिस्टर्ड सोसायटी से ली जाय, किन्तु यह संस्था की जिम्मेदारी नहीं है कि साधन संसाधन के कागज बैध हैं या अवैध इसकी जिम्मेदारी प्रयोक्ता की है। अलबत्ता वहाँ मौजूद तथा कथित एकाउंटेंट पत्रकारों से इस कदर अशिष्टता की सीमायें लांघता रहा कि सरकार को चूना लगाने का खेल इसी का है।
खैर जो भी हो उच्चाधिकारियों की नजर इस आर्थिक अपराध की जड़ में जाकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के मंसूबों, भ्रष्टाचारियों के कृत्यों को उजागर करेंगे या चुपचाप खेल खेलने को आजाद ही रहने देंगे यह तो राम ही जानें । अलबत्ता तथाकथित एकाउंटेन्ट की धमकी, सरकार के पैसे से खेला जा रखा है खेल यह बानगी है, तह में जाने पर इस प्रकार के और भी प्रकरण सामने आ सकते हैं ।
प्रयागराज जिला में विभाग में प्राइवेट नम्बर की गाड़ियां लगा कर धड़ले से चलाई जा रही है। शासन स्तर पर जांच हुई तो कई विभागों के जिम्मेदारों पर गाज गिरना तय है ।