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प्रयागराज: आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद की हत्या की साजिश

SV News

संदिग्ध हिरासत में, देर रात तक पूछताछ

प्रयागराज (राजेश सिंह)। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद की हत्या की साजिश रचने का मामला सामने आया है। उनके हरिद्वार आश्रम में एक जनवरी को आयोजित होने जा रहे जन्मोत्सव में खीर में जहर मिलाकर उनकी व अन्य संतों की हत्या की साजिश की गई। पुलिस ने संदिग्ध युवक को हिरासत में लिया है। उससे देर रात तक पूछताछ जारी रही। संदिग्ध बागपत का रहने वाला विक्रम सिंह है। नए यमुना पुल के नीचे आश्रम बनाकर रहने वाली गायत्री त्रिवेणी प्रयाग पीठाधीश्वर त्रिकाल भवंता ने बताया कि तीन दिन पहले उन्हें एक फोन आया। 
फोन करने वाले ने मिलने को कहा था। शुक्रवार को दोबारा फोनकर युवक ने बताया कि वह हरिद्वार से प्रयागराज आ रहा है। शनिवार को वह उनके आश्रम आया। उसने अपना नाम-पता भी बताया। बकौल त्रिकाल भवंता, पूछने पर युवक ने बताया कि आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद के जन्मोत्सव कार्यक्रम में देश के कई बड़े संत शामिल होंगे। इस दौरान वह प्रसाद के रूप में बांटे जाने वाली खीर में जहर मिलाकर कैलाशानंद व अन्य संतों को मार देगा। 
यह भी आरोप लगाया कि नौकरी दिलाने के नाम पर उससे 20 लाख रुपये कैलाशानंद ने ले लिए लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली। इसी को लेकर वह असंतुष्ट है। इस पर त्रिकाल भवंता ने नैनी पुलिस व कैलाशानंद को सूचना दी। पुलिस युवक को हिरासत में लेकर थाने ले गई। जहां एसीपी अजीत सिंह चौहान व डीसीपी सौरभ दीक्षित भी पहुंचे। एसटीएफ की टीम भी पहुंचकर पूछताछ में जुटी रही। 
कैलाशानंद ने बताया कि प्रयागराज से त्रिकाल भवंता का फोन आया था। उन्होंने बताया कि एक युवक आपकी हत्या की साजिश रच रहा है। उन्होंने उस युवक का नाम विक्रम सिंह व पता बागपत बताया था। आश्रम में आगंतुक रजिस्टर देखा गया तो पता चला कि युवक 29 नवंबर को आया था और चार घंटे से अधिक समय बिताया था। उसने यहां अपना गलत पता व नंबर लिखवाया था। उन्होंने तत्काल इसकी जानकारी पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को दी। रुपये लेने संबंधी आरोपों पर उन्होंने कहा कि मैं न उस युवक को जानता हूं और ना ही मेरी उससे मुलाकात हुई है। 

युवक ने पूछताछ में बताया है कि त्रिकाल भवंता ने पहले उस पर खुद को मारने की साजिश रचने और फिर स्वामी कैलाशानंद को मारने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उसका यह भी कहना है कि वह प्रयागराज घूमने आया था। त्रिकाल भवंता का नाम सुना था, ऐसे में सोचा कि प्रयागराज घूमने में उसे उनसे मदद मिल जाएगी। त्रिकाल भवंता को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है लेकिन वह पुलिस के समक्ष नहीं आई हैं। - सौरभ दीक्षित, डीसीपी यमुनानगर

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