प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। जांच पूरी नहीं हुई और परिवार को झूठा बता दिया। ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ करने के लिए हंस को भी उसे चखना पड़ता है। लेकिन प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस अद्भुत है। वह बिना जांच किए ही मामले की तह तक पहुंच जाती है। उसने ऐसा ही बहरिया में आधी रात पुलिस से खौफजदा संजय भारतीय ( 27) के छत से कूदने व चोटिल होने के मामले में किया। जांच पूरी होने से पहले ही फैसला सुना दिया। परिवार को झूठा बताते हुए आरोपों को असत्य व निराधार बता दिया। उधर बेटे का इलाज करा रहा परिवार खौफजदा है।
संजय के पिता लल्लू भारतीय ने बताया था कि उसने 20 फरवरी को हुई इस घटना की शिकायत मंगलवार को पुलिस कार्यालय पहुंचकर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरि से की। उधर इस मामले को लेकर बुधवार की शाम चार बजे के करीब कमिश्नरेट पुलिस की ओर ट्विटर पर बयान जारी किया गया। इसमें बताया गया कि प्रकरण में एक ही परिवार के दो पक्षों में जमीन की कब्जेदारी से संबंधित विवाद है।
इसी क्रम में पुलिस पर दबाव बनाने के लिए असत्य व निराधार आरोप लगाए गए हैं। चौंकाने वाली बात यह कि बयान तब दे दिया गया, जब अभी इस मामले में कराई जा रही जांच पूरी भी नहीं हो सकी है। दरअसल बुधवार रात जब इस मामले में डीसीपी गंगानगर अभिषेक अग्रवाल से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि एसीपी थरवई जंगबहादुर यादव को जांच सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट में जो बातें सामने आएंगी, उनके आधार पर आगे कार्रवाई होगी। उनसे पूछा गया कि क्या एसीपी ने उन्हें रिपोर्ट सौंपी है तो उन्होंने इन्कार किया। कहा कि अभी रिपोर्ट नहीं मिली है।
अब सवाल यह है कि जब जांच ही नहीं पूरी हुई तो पुलिस की ओर से अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से आरोप असत्य व निराधार कैसे बता दिया गया। उधर घायल संजय की मां श्यामा देवी ने बताया कि घटना के बाद से पूरा परिवार दहशत में है। हर पल डर सता रहा है। घर से बाहर निकलने में भी डर लग रहा है।
पीड़ित परिवार का कहना है कि घटना में बेटे के घायल होने के बाद उनके कॉल करने पर 108 एंबुलेंस मौके पर पहुंची थी। चालक पवन सिंह व उसका साथी महेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे थे और फिर संजय को एंबुलेंस से ही सीएचसी फूलपुर ले जाया गया। बाद में उसे रेफर करने पर निजी अस्पताल ले जाया गया। उधर चालक पवन सिंह ने भी रात में घायल को सीएचसी पहुंचाने की बात स्वीकार की।
जानकारों का कहना है कि आरोपों की जांच निष्पक्ष तरीके से की जानी है तो घटना वाली रात संबंधित दरोगा व अन्य पुलिसकर्मियों की मोबाइल लोकेशन देखी जानी चाहिए। अगर उनकी लोकेशन पीड़ित के घर के आसपास मिलती है तो उनसे पूछा जाना चाहिए कि आधी रात वह वहां क्या करने गए थे। एक सवाल यह भी है कि मामला राजस्व से संबंधित है तो बिना राजस्वकर्मियों के पुलिसकर्मी वहां किसके आदेश या अनुमति पर गए।
जानें क्या है मामला
सराय अजीज गांव में आधी रात पहुंची पुलिस को देखकर 20 फरवरी को संजय भारतीय ( 27 ) के छत से कूदने पर उसका पैर टूट गया था। पिता का आरोप है कि भूमिधरी जमीन पर निर्माण के एवज में हल्का दरोगा 10 हजार रुपये मांग रहा था। रुपये न देने पर वह अन्य पुलिसकर्मियों संग रात में पहुंचकर दरवाजा पीटने लगा। इसी से खौफजदा बेटे ने छत से छलांग लगा दी थी।