प्रयागराज (राजेश सिंह)। कंपनी बाग में स्थापित अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की कांस्य प्रतिमा से अचानक बूंद-बूंद पानी टपकने लगा है। यह पानी कहां से और कैसे आ रहा है, इसका किसी को कुछ पता नहीं है। दर्शनार्थियों में भी इसे लेकर कौतूहल है। एक दर्शनार्थी के पत्र के बाद जिलाधिकारी ने उद्यान अधीक्षक को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। उद्यान प्रशासन ने धरोहरों का संरक्षण-संवर्धन करने वाले संस्थान इंटेक से संपर्क साधा है।
आजाद के शहादत स्थल पर लगी करीब 10 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा के दाहिने तरफ से जल की बूंदें टपक रहीं हैं। प्रतिमा का काफी हिस्सा नम भी है। यह पानी कहां से आ रहा है, कुछ भी स्पष्ट नहीं। इस जल रिसाव पर सबसे पहले एथलीट कोच रजनीकांत निषाद की निगाह पड़ी। सामाजिक कार्यों में बेहद सक्रिय ग्राम ललितपुर भौसरा निवासी रजनीकांत शहादत स्थल पर घूमने आए थे। सूरतेहाल से भावुक हुए रजनीकांत ने 28 जनवरी को पत्र लिखकर जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री को इसकी जानकारी दी। अपनी तरफ से सौंदर्यीकरण व सफाई करने का प्रस्ताव भी रखा।
डीएम ने प्रकरण गंभीर देखकर उद्यान अधीक्षक उमेश उत्तम को रिसाव की जांच कराने और प्रतिमा की सफाई कराने का निर्देश दिया। उद्यान अधीक्षक ने रिसाव के कारणों की पड़ताल और उसकी मरम्मत कराने के लिए धरोहरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था इंटेक से संपर्क साधा है। इंटेक की टीम प्रतिमा का सर्वे भी कर चुकी है। रिसाव का पता लगाने के लिए इंटेक विशेषज्ञों की मदद लेगी। प्रतिमा की सफाई और पॉलिश भी कराई जाएगी। वहीं, उद्यान विभाग ने ग्वालियर की भी एक एजेंसी से संपर्क किया है।
1991 में लगी थी प्रतिमा : कंपनी बाग में अंग्रेजों से घिर जाने के बाद चंद्रशेखर आजाद ने 27 फरवरी 1931 को अपनी अमेरिकन कोल्ट पिस्तौल से कनपटी पर गोली मार ली थी। यहीं वह शहीद हो गए थे। इसी शहीद स्थल पर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1991 में उनकी आदमकद कांस्य प्रतिमा लगाई थी। उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस प्रतिमा की अब तक कभी पॉलिश नहीं कराई गई है। यह स्थल शहीद-तीर्थ के रूप में देशभर में विख्यात हो चुका है।
आजाद की प्रतिमा से टपक रही बूंदों का परीक्षण कराया जा रहा है। प्रतिमा सांचे पर ढली होने के कारण भीतर से खोखली है। रिसाव की जगह प्रतिमा का मामूली हिस्सा चटका हुुआ है। डीएम के निर्देश पर मरम्मत कराने के लिए एजेंसी से संपर्क साधा गया है। - उमेश उत्तम, उद्यान अधीक्षक।
यह कोई चमत्कार नहीं है। प्रतिमा के भीतर कहीं न कहीं से हवा प्रवेश कर रही है। हवा की नमी धीरे-धीरे ठंडी होकर जल में बदल रही है। यही पानी बूंद-बूंद टपक रहा है। - प्रो. आरके सिंह, रसायनशास्त्र विभाग, इविवि।
शहीद तीर्थ पहुंचे उद्यान अधीक्षक, रिसाव से पर्दा उठाने का दिलाया भरोसा
प्रतिमा से जल की बूंदों के लगातार टपकने की जानकारी मिलने के बाद बृहस्पतिवार को उद्यान अधीक्षक उमेश उत्तम शहीद तीर्थ पहुंचे। वहां उन्होंने प्रतिमा से निकलती जल की बूंदों का सूक्ष्मता से अवलोकन किया। वहां देश के कई हिस्सों से आजाद प्रतिमा के दर्शन के लिए आए कई श्रद्धालु भी इस घटना को लेकर हैरत से भरे रहे। श्रद्धालुओं का कहना था कि रिसाव की वजहों का पता लगाया जाना चाहिए।
प्रतिमा स्थल पर लखनऊ से आए विजय शंकर दुबे का कहना था कि यह अपने आप में अनोखी घटना है। प्रतिमा से आखिर जल की बूंदें कब से टपक रही हैं, इसकी सुध प्रशासन ने अब तक क्यों नहीं ली, यह चिंता का विषय है। इसी तरह कोलकाता से आए नागेंद्र कुमार का कहना था कि आजाद प्रतिमा पूरे देश की आस्था से जुड़ी हुई है। देश का हर नागरिक जानना चाहेगा कि आखिर इस रिसाव की वजह है क्या। ऐसे में प्रशासन को शीघ्र कमेटी बनाकर इस रहस्य का खुलासा करना चाहिए। उधर, उद्यान अधीक्षक का कहना था कि जल्द ही इसके कारणों का पता लगाया जाएगा और इसे दुरुस्त करा लिया जाएगा।
आजाद प्रतिमा से हो रहे जल रिसाव की जांच कराई जानी चाहिए। ताकि इस रहस्य से पर्दा उठ सके। प्रतिमा से लंबे समय से जल रिसाव हो रहा है। जब से प्रतिमा स्थापित की गई है, तब से उसकी पॉलिश और मरम्मत कभी न कराया जाना भी चिंता का विषय है। - डॉ. नीरज, सामाजिक कार्यकर्ता।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही मैंने इस प्रतिमा से जल रिसाव होते देखा था। इसके बाद जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जानकारी दी। - रजनीकांत निषाद, एथलीट कोच।