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कथा के अंतिम दिन श्रीराम हनुमान मिलन और सुग्रीव मित्रता की कथा को सुन भाव विभोर हुए श्रोता

 




मेजा प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी

दिव्यांगोत्थान श्रीराम सेवा ट्रस्ट प्रयागराज के तत्वावधान में मेजा के जेवनिया में पांच दिवसीय राम कथा के अंतिम दिन कथा व्यास डॉक्टर अशोक हरिवंश भैया जी ने श्रीराम भक्ति के बारे में विस्तार से बताया।कथा को दिन श्रोता भाव विभोर हुए।कथा व्यास ने शबरी को नवधा भक्ति के  आगे से संगीत मय कथा की शुरुआत की।भैया जी ने कहा कि श्रीराम ने शबरी को नौ भक्ति के बारे में बताया तो शबरी ने कहा प्रभु मेरे पास कौन सी भक्ति है और कौन भक्ति दे रहे है।प्रभु राम ने कहा कि मेरा और आपका मां बेटे का संबंध है।बेटा कभी मां को भक्ति दे सकता है।मां तुम्हारे पास नौ भक्ति पहले से है।भैया जी ने कहा कि केवल शबरी जी इसी भक्त है,जिसने राम की भक्ति न मांगी और न ही प्रभु ने दिया,लेकिन अन्य को भक्ति मांगनी पड़ी।अहिल्या को भक्ति मांगनी पड़ी।जटायु को चार प्रकार की भक्ति दी।विभीषण को भक्ति मांगनी पड़ी।वशिष्ठ को भी मांगना पड़ा।शंकर भगवान को मांगना पड़ा। 

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हनुमान जी को श्री राम से भक्ति मांगनी पड़ी।श्रीराम ने अंत में नवधा भक्ति शबरी से सीता का पता बताने को कहा।शबरी ने श्री राम को पंपापुर जाने को कहा।यहां तक कहा कि वहां सुग्रीव से मित्रता कर आगे का रास्ता साफ हो जाएगा। भैया जी ने श्रीराम - सुग्रीव मित्रता की कथा को विस्तार से श्रवण कराया।हनुमान को भरत से भी अधिक उपमा दी और कहा कि हनुमान मैं तुम्हारा ऋणी हूं।प्रभु द्वारा कुछ मांगने के लिए कहा तो राम भक्त हनुमान ने कहा कि अपने चरणों की भक्ति देने की बात कही।कथा में उत्तर प्रदेश किन्नर वेलफेयर एसोसिएशन की सदस्य महामंडेश्वर किन्नर अखाड़ा पूज्य श्री कौशल्या नंद गिरी(टीना मां) ने भी श्री राम कथा में भाग लिया।


कथा शुरू होने के पूर्व कार्यक्रम के आयोजक अधिवक्ता अभिषेक तिवारी टिंकू पत्नी पूर्व प्रधान रुचि तिवारी ने मंडली समेत कथा व्यास का माल्यार्पण कर स्वागत किया।इस मौके पर पगलानन्द आश्रम के महंत समर्थ गुरु रामदास जी, पूर्व ब्लाक प्रमुख मुन्नन शुक्ल,दयाशंकर शुक्ल,दिनकर मिश्र,अजीत सिंह,कमला शंकर उपाध्याय,भोला गौतम,लवकुश द्विवेदी,बालकृष्ण तिवारी,ओमप्रकाश दुबे,राहुल तिवारी,रिंकू ओझा,प्रदीप पांडेय,राकेश शुक्ल,कुशल कांत मिश्र,पंकज पांडेय,पवन कांत मिश्र सहित भारी संख्या में लोगों ने कथा का श्रवण किया।

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