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अब नही चलेगी जेल में अय्याशी!, न बिरयानी न आम अब तो खानी ही पड़ेगी जेल की रोटी!

SV News

यूपी में माफियाओं की चापलूसी की तो खैर नहीं!

प्रयागराज (राजेश सिंह)। उत्तर प्रदेश में सालों तक माफिया राज ऐसा रहा कि घर तो छोड़िए जेल में भी माफियाओं की खातिरदारी आम बात रही है। अतीक अहमद हो या फिर मुख्तार अंसारी पूरे राज्य में इनकी तूती ऐसी बोलती थी कि इनके अपने नौकर-चाकर तो छोड़िए पूरा सरकारी अमला इनकी खातिरदारी में लग जाता था। प्रशासन से लेकर पुलिस तक इनके कदमों में नतमस्तक होती नजर आती थी और जेल की चारदीवारी भी इससे अछुती नहीं थी।

योगी सरकार आई तो माफिया तो जेल पहुंच गए, लेकिन ये माफियाओं की खातिरदारी का ये सिलसिला जेल में बदस्तूर जारी रहा। न सिर्फ माफिया बल्कि उनके रिश्तेदारों के लिए भी जेल कभी जेल नहीं रही बल्कि उनकी अय्याशियों का अड्डा ही रही। खाते होंगे आम लोग जेल की रोटियां, लेकिन अगर कोई अतीक का रिश्तेदार है तो वो तो बिरायनी ही खाएगा। आप खास हैं तो फिर जेल में आम भी जाएंगे और किवी भी, फिर चाहे इसके लिए पुलिसवालों को कुछ भी करना पड़े।

अतीक अहमद का भाई अशरफ बरेली की जेल में बंद है, लेकिन कुछ समय पहले खबरें सामने आई थी कि अशरफ को रोटियां पसंद नहीं हैं वो जेल में बिरयानी खाना चाहता है। फिर क्या था, बरेली जेल के अधिक्षक लग गए सेवा में। सीधा पीलीभीत से जेल में बिरयानी आने लगी। कभी पुलिसवालों के साथ पान खाते वीडियो वायरल हुआ तो कभी बाहरी लोगों से अशरफ की मुलाकात का। अशरफ को लगातार वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता ही रहा। भई यूपी के सबसे बड़े माफिया अतीक अहमद का भाई जो था तो पुलिसवाले कैसे न करते सेवा।

इसी तरह पिछले साल मुख्तार अंसारी को भी बांदा जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिलने की बात सामने आई थी। मुख्तार अंसारी के लिए जेल में ही मंगाए जाते थे खास दशहरी आम। जेल की बैरक में कई और विदेशी फल जैसे किवी भी मौजूद थे। मुख्तार की सेवा में हरदम तैनात रहते थे पुलिसकर्मी। माफिया को जेल में कोई कष्ट न हो इसका खास ख्याल रखा जाता था।

चित्रकूट जेल का नजारा भी कुछ अलग नहीं था। यहां मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को बंद किया गया था, लेकिन जेल के अंदर छोटे अंसारी के ठाट भी नवाबों से कम नहीं थे। इन जनाब के लिए तो जेलर का कमरा ही बन जाता था इनका बेडरूम। मुख्तार अंसारी की बहू निकहत रोज अवैध तरीके से जेल के अंदर आती और पति के साथ घंटो बिताती। जेलर के कमरे में महिनों तक अय्याशी चलती रही और पुलिस पहरेदारी करती रही। जेल के अंदर से विदेशों में खुले आम फोन हो रहे थे, लेकिन मजाल कि पुलिस कुछ बोल दे। बोले भी क्यों पैसा देकर पुलिसवालों का मुंह जो बंद कर दिया गया था।

ये तो चंद घटनाएं हैं सालों तक चले माफिया राज में इस तरह की कई बातें अक्सर सामने आती रहती थी, लेकिन अब लगता है चीजें पूर तरह से बदल गई हैं।न सिर्फ माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हो रही है बल्कि ऐसे पुलिसवालों को भी नहीं बख्शा जा रहा जो अपनी ड्यूटी निभाने की जगह माफियाओं की सेवा में लगे हैं। बरेली, नैनी और बांदा के वरिष्ठ जेल अधीक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। बरेली जेल के अधीक्षक राजीव शुक्ला, नैनी के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशिकांत सिंह और बांदा के अविनाश गौतम सस्पेंड कर दिया गया है।

इसके पहले चित्रकूट जेल में भी जब निकहत और अब्बास के अवैध मिलन की खबरें आईं तो जेल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई थी। 11 लोगों को नामजद किया गया। अधिक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर समेत 8 लोगों को सस्पेंड कर दिया गया था। यानी उत्तर प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि अब किसी भी कीमत पर माफियाओं की सरकारी चापलूसी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सालों से क्या होता आया है वो अब यूपी में नहीं होगा।

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