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मंहगाई व सूखा के चलते फीका रहा औंता महावीर का मेला

 खट्टी मीठी यादों के साथ शांति पूर्ण ढंग से मेला संपन्न



मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

कभी क्षेत्र का ऐतिहासिक मेला कहे जाने वाला औंता महावीर का मेला जहां बढ़ती आबादी के चलते सिकुड़ता जा रहा है,वहीं इस वर्ष का मंगलवार को मेला महंगाई और सूखे की भेंट चढ़ गया।एक समय था कि रामनगर दिघिया मार्ग को मेला के चलते पुलिस प्रशासन द्वारा अवरूद्ध कर दिया जाता था।आज हालत यह है कि दुकानें तो हैं लेकिन ग्राहक नदारद हैं।वहां बेखौफ फर्राटा भर कर जा रहे हैं।इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेले में भीड़ कैसी हो सकती है।जिला परिषद इंटर कालेज के प्रवक्ता अभयशंकर मिश्र कहते हैं कि ज्यादा नहीं एक दशक पहले मेले की रौनक देखते बनती थी।वह भी मानते हैं कि बढ़ती आबादी के कारण मेला सिकुड़ता जा रहा है और इस वर्ष मंहगाई और सुखा ने तो मेले की रौनक ही बिगाड़ कर रख दी।दुकानदार बताते हैं कि आज का मेला बहुत ही खराब रहा। भर्ती निकालना मुश्किल हो रहा है।मंदिर के पास लगाने वाली भीड़ भी गायब रही।सुरक्षा की दृष्टि से भ्रमण करने वाले पुलिस भी आज शांति दे मंदिर के पास डेरा जमाए बैठे रहे।मंदिर के पुजारी तो दोपहर बाद अपने चेले के पास चले गए।मेला लगाने की परंपरा के बारे में प्रवक्ता अभयशंकर मिश्र बताते हैं कि किवदंती है कि प्राचीन काल में चरवाहा अपनी भैंसो को चारा रहे थे,जिसमे एक भैंस पानी में लोटकर वापस आ रही तो चरवाहों ने देखा की पानी कहीं नहीं है फिर भैंस को मिट्टी लगी कैसी।सभी चरवाहा उत्सुकता बस उस स्थान पर गए तो देखा कि थोड़ा पानी है।

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उसे खोदने लगे तो आवाज आई।उसे और खोदना शुरू किया तो देखा कि पत्थर की हनुमान जी की पूर्ति दिखी तो गांव में आग की तरह खबर फेल गई और गांव के लोग वहीं पर हनुमान जी को स्थापित कर पूजा करना शुरू कर दिया और आज देश विदेश में औंता महावीर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।उनके नाम से असंख्य गाने और कई भोजपुरी फिल्म बनी हैं।फिलहाल मेला खट्टी मीठी यादों के साथ शांति पूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।

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