प्रयागराज (राजेश शुक्ला)। बाघंबरी मठ के महंत बलबीर गिरि जी महाराज धार्मिक यात्रा पर निकले हैं। गुरूवार को केदारनाथ धाम में पहुंचे। शनिवार को वह केदारनाथ से बद्रीनाथ के प्रस्थान करेंगे। इससे पहले उन्होंने अपने शिष्य अंकित शुक्ल से फोन पर वार्ता कर संगम में गंगा के उफान को लेकर हाल जाना।
प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ के महंत बलबीर गिरि जी महाराज धार्मिक यात्रा पर निकले हुए हैं। शनिवार को उन्होंने केदारनाथ से फोन पर माता गंगा के उफान को लेकर चिंता जताते हुए हालचाल जाना। बलबीर गिरि जी महाराज ने कहा चाहे कितना भी शुभ कार्य हो या पूजा हो गंगा जल के बिना अधूरी रहती है। गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं। गंगा मैया की कृपा दृष्टि गंगा पूजा से प्राप्त की जा सकती हैं। बाघंबरी मठ के महंत बलबीर गिरि जी महाराज धार्मिक यात्रा पर निकले हैं। गुरूवार को केदारनाथ धाम में पहुंचे, शनिवार को वे वहां से बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे।
महंत बलबीर गिरि जी महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति के लिए गंगा नदी और गंगोत्री धाम का बहुत विशेष महत्व है। उत्तराखंड में स्थित चारों पवित्र धामों में केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम के साथ-साथ गंगोत्री की यात्रा का अपना विशेष पौराणिक महत्व है। गोमुख भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है यह वह पवित्र स्थली है जहां भागीरथी नदी का अवतरण हुआ।
गंगोत्री धाम हिमालय के भीतरी क्षेत्र की एक ऐसी पवित्र स्थली है जहां गंगा नदी की पावन धारा पहली बार पृथ्वी पर उतरती हैं। हिंदुओं के धार्मिक पुराणों और ग्रंथों के अनुसार देवी गंगा ने कठोर तपस्या के पश्चात एक नदी का रूप लिया और महाराजा भागीरथ के पूर्वजों को उनके पापों से मुक्त किया। महाराजा भागीरथ की तपस्या से पृथ्वी पर आने के कारण गंगा जी का नाम भागीरथी पड़ा।