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श्रवण कुमार की धरती पर मोहब्बत के लिए तरस रहे माता-पिता, नैतिक मूल्यों में गिरावट दुखद: हाईकोर्ट

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हमारा देश महान संतान श्रवण कुमार की भूमि है, जहां बच्चों से अपने बुजुर्ग माता-पिता की उचित देखभाल करने की अपेक्षा की जाती है। लेकिन, पीड़ादायक यह है कि नैतिक मूल्यों में इस कदर गिरावट आ गई कि अपना सुख-चैन जिन बच्चों के लिए माता-पिता त्याग कर जीवन खत्म कर देते हैं, वही उन्हें बुढ़ापे में दो जून की रोटी और मोहब्बत के लिए तरसा रहे हैं। 
देखभाल नहीं करने से व्यथित बूढ़े पिता की याचिका पर यह टिप्पणी न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने की है। बेटों की प्रताड़ना और बेकदरी से व्यथित बुजुर्ग छविनाथ की याचिका पर सुनवाई कोर्ट ने सुनवाई की। कहा कि वृद्ध माता-पिता की देखभाल बच्चों का न केवल नैतिक कर्तव्य बल्कि कानूनी बाध्यता भी है।
मामला प्रयागराज के हंडिया तहसील का है। हंडिया निवासी 85 वर्षीय छविनाथ ने याचिका दाखिल करते हुए अपने बेटों के खिलाफ देखभाल न करने व भावनात्मक आश्रय देने की बजाए उसे परेशान करने के साथ ही संपत्ति से बेदखल करने की शिकायत की थी। बुजुर्ग पिता ने अदालत से गुहार लगाई कि बेटों की ओर से दी जा रही प्रताड़ना को रोकने और प्यार-सम्मान से उसका भरण-पोषण करने का आदेश पारित करे। हालांकि, बुजुर्ग पिता ने अपनी शिकायत के निवारण के लिए हंडिया के उप जिलाधिकारी से भी गुहार लगाई थी। लेकिन, उसके द्वारा दिया गया प्रत्यावेदन अभी विचाराधीन है।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 का हवाला देते हुए हंडिया एसडीएम को छह सप्ताह के भीतर बुजुर्ग पिता की शिकायतों पर सभी हितधारकों को सुनने के बाद सख्ती से विधि सम्मत निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
याचिका को निस्तारित करते हुए कोर्ट ने प्राचीन हिंदू ग्रंथों में श्रवण कुमार की कहानी का जिक्र किया। कहा कि बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने, उनकी गरिमा को बनाए रखने और बुढ़ापे में उनका सम्मान करने के लिए कानूनन बाध्य हैं। वहीं, आजकल कई मामलों में बच्चे अपने माता-पिता से संपत्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें छोड़ देते हैं। यह न सिर्फ दुखद है बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों में निरंतर आ रही गिरावट का प्रतीक भी है।

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