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विंध्याचल में जलाने से पहले ही लूट लिया जाता है रावण का पुतला, जानें कारण

SV News

विंध्याचल, मिर्जापुर (राजेश सिंह)। धर्मनगरी काशी एवं तीर्थराज प्रयाग के मध्य बसे मिर्जापुर जिले का विंध्याचल एक मात्र ऐसी जगह है जहां रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता बल्कि उसे लूट लिया जाता है। मान्यता है कि रावण के पुतले से निकले अंश को घर में रखने से सुख समृद्धि आती है। पुतले के अंश को रखने से घर से दरिद्रता दूर होती है और सुख समृद्धि का आगमन होता है।
विंध्य नगरी में रावण से जुड़ी ऐसी एक दिलचस्प मान्यता है जो सैकड़ों वर्ष पुरानी है। विगत कई वर्षों से विन्ध्याचल धाम क्षेत्र के बंगाली चौराहे पर विजयादशमी पर्व मनाया जाता है। राष्ट्रीय विन्ध्य पर्यावरण सुरक्षा एवं धर्मोत्थान समिति द्वारा आयोजित किया जाता है। धार्मिक परंपराओं में ऐसे अजीबोगरीब रीति रिवाज और मान्यताओं का भी समावेश है, जिन पर विश्वास करने का अपनी वजह है। देशभर में बुराई के प्रतीक रावण पुतले का दहन किया जाता है। अलग-अलग स्थान पर रावण से जुड़ी भिन्न-भिन्न मान्यताएं हैं। कहीं रावण के पुतले को जलाया जाता है।
कहीं तलवार से धड़ अलग किया जाता है तो कहीं पुतले को ना जलने की भी अपनी धारणा है लेकिन मां विंध्यवासिनी धाम में रावण से जुड़ी ऐसी मान्यताएं बताते हैं जो आप को हैरान कर देगी। यहां रावण के पुतले का दहन नहीं होता बल्कि उसे लूट कर लोग अपने-अपने घर में रखते हैं। तीर्थ पुरोहित अजय त्रिपाठी ने बताया कि ये बहुत पुरानी परंपरा है जो आज भी चली आ रही है।

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