मेजा,प्रयागराज।(पवन तिवारी)
क्षेत्र के गुनई गहरपुर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिवस श्रद्धालु कृष्ण रंग में रंगे नजर आए। कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द और धूम-धाम से मनाया गया। कृष्ण झाकियों ने सभी का मन मोह लिया।प्रसंग के दौरान श्रद्धालु नंदलाला प्रकट भये आज, बिरज में लड़ुआ बंटे…, नन्द के घर आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल…, आना आना रे आना नंदलाल आज हमारे आंगन में जैसे भजनों पर झूमते रहे। नन्द और यशोदा के लाला की जय के उद्घोष कथा पांडाल में गूंजते रहे। जन्मोत्सव के उपरांत विधिवत कृष्ण पूजन के बाद सेठौरा का वितरण किया गया। कथा की शुरूआत बलि-वामन प्रसंग से हुई। कथावाचक गौरव जी महाराज ने प्रभु भक्ति की महिमा बताते हुए कहा भगवान विष्णु राजा बलि को वामन अवतार में छलने आते हैं। वे राजा बलि से तीन पग भूमि मांग लेते हैं। राजा बलि के गुरू उनका साक्षात्कार ईश्वर से कराते हुए उन्हें संकल्प लेने से रोकते हैं। राजा बलि के आग्रह पर जब भगवान विष्णु वामन अवतार से अपने विराट स्वरूप में आकर दो ही पैर में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को माप लेते हैं।राजा की परीक्षा लेते हुए पूछते हैं कि तीसरा पैर कहां रखूं अन्यथा नरक भेज दूं। राजा बलि ने अपने संकल्प की रक्षा करते हुए प्रभु भक्ति में भगवान से अपना तीसरा पैर उन पर रख उन्हें भक्त रूप में स्वीकार करने को कहा। राजा बलि के भक्त प्रेम के आगे स्वयं भगवान हार गए और राजा बलि के महल का द्वारपाल बन उन्हें स्वीकारा। बलि-वामन प्रसंग की संगीतमय प्रस्तुति से श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
कथा व्यास ने भक्त और भगवान के सबंधो को बताते हुए कहा कि हम जीवन भर किसी न किसी संबधों की डोरी से बंधे हुए रहते हैं, लेकिन यदि भगवान से निकट आना है तो संबधो की डोरी ठाकुर जी के साथ जोड़नी पड़ेगी। उनसे कोई रिश्ता जोड़ लो। जहां जीवन में कमी है, वहीं ठाकुर जी को बैठा दो। वे जरूर उस संबंध को निभाएंगे। मुख्य यजमान राजकुमारी तिवारी के साथ उनके चारों पुत्रों अशोक तिवारी,लल्लू तिवारी, जय तिवारी और विजय तिवारी टोनी ने सपत्नीक द्वारा विधिवित आरती व पूजन के साथ कथा के चौथे दिन का समापन हुआ।कथा 17 नवंबर से कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ था। इस दौरान अवधेश तिवारी,उमाशंकर तिवारी,प्रमोद तिवारी,मुकेश तिवारी सहित परिवार के समस्त जन मौजूद रहे।