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यूपी के नए कार्यवाहक डीजीपी ने संभाला कार्यभार

SV News

लखनऊ (राजेश सिंह)। यूपी को लगातार चौथी बार कार्यवाहक डीजीपी मिला है। स्पेशल डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया है। डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार को राज्य सरकार ने प्रदेश पुलिस का नया मुखिया बना दिया है। उन्होंने बुधवार शाम को कार्यभार संभाल लिया। कार्यवाहक डीजीपी विजय कुमार के बुधवार को सेवानिवृत्त होने के बाद प्रशांत कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वर्ष 1990 बैच के आईपीएस प्रशांत कुमार 16 अफसरों को सुपरसीड करके कार्यवाहक डीजीपी बने हैं। बीते करीब साढ़े तीन वर्ष से वह कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसके अलावा उनके पास ईओडब्ल्यू और स्टेट एसआईटी की जिम्मेदारी भी है। यह लगातार चौथी बार है जब यूपी में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति हुई है। कार्यवाहक डीजीपी ने नियुक्ति के निर्णय के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मुलाकात की।

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बता दें कि मूल रूप से बिहार के सीवान निवासी प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पसंदीदा अफसरों में शामिल माना जाता है। एडीजी जोन मेरठ रहने के दौरान उन्होंने कई अपराधियों का एनकाउंटर किया था, जिसके बाद उनको एडीजी कानून-व्यवस्था बनाया गया था। तत्पश्चात उन्होंने प्रदेश के 66 माफियाओं की सूची तैयार कर कानून का शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उनके नेतृत्व में एसटीएफ और जिलों की पुलिस ने एनकाउंटर करने का सिलसिला जारी रखा।
उल्लेखनीय है कि प्रशांत कुमार को चार बार राष्ट्रपति का वीरता पदक मिल चुका है। उन्होंने एमएससी, एमफिल और एमबीए की शिक्षा ग्रहण की है। उनकी पत्नी डिंपल वर्मा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में रेरा में सदस्य हैं।

इन अफसरों को किया सुपरसीड

मुकुल गोयल, आनंद कुमार, शफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्रा, पीवी रामाशास्त्री, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, रेणुका मिश्रा, बिजय कुमार मौर्या, सत्य नारायन साबत, अविनाश चंद्रा, संजय एम. तरडे, एमके बशाल, तनूजा श्रीवास्तव, सुभाष चंद्रा।
 
अखिलेश यादव ने उठाए सवाल

यूपी में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि लगता है एक बार फिर उप्र को कार्यवाहक डीजीपी मिलनेवाला है। जनता पूछ रही है कि हर बार कार्यवाहक डीजीपी बनाने का खेल दिल्ली-लखनऊ के झगड़े की वजह से हो रहा है या फिर अपराधियों के संग सत्ता की सांठगांठ के कारण।

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