मांडा, प्रयागराज (शशिभूषण द्विवेदी)। जर्जर क्षत , दीवारों, दरवाजों और टूटी खिड़कियों के भय से बरसात के मौसम में हाटा साधन सहकारी समिति के कर्मचारी समिति के बाहर ही खाद लेने वाले ग्राहकों को रहने की सलाह देते हैं और ग्राहक न रहने पर खुद भी समिति के भवन के बाहर ही बैठते हैं।
मांडा दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्र के हाटा ग्राम पंचायत में बना साधन सहकारी समिति का भवन बेहद जर्जर है। अन्य साधन सहकारी समितियों के भवनों का कई बार इस दौरान मरम्मत और पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन चार साल से भवन निष्प्रयोज्य होने की अधिकारियों को जानकारी दिये जाने के बावजूद हाटा साधन सहकारी समिति का पुनर्निर्माण नहीं हो पाया। समिति के सचिव ने बताया कि बरसात शुरु होते ही इस समिति के छत से जगह जगह पानी टपकने लगता है। जर्जर दीवारें, टूटे दरवाजे और खिड़कियों को देखकर भय लगता है। समिति में खाद के लिए आये किसान समिति के अंदर जाने से डरते हैं। समिति रखे खाद बरसात से खराब हो जाते हैं। पहले इस समिति को गेहूं व धान क्रय केन्द्र भी बनाया जाता था, लेकिन भवन जर्जर और निष्प्रयोज्य होने के कारण पिछले दो वर्षों से हाटा साधन सहकारी समिति में धान व गेहूं क्रय केन्द्र नहीं रखा जाता। बरसात के दिन इस समिति के कर्मचारियों के लिए बेहद डरावने होते हैं। कर्मचारियों व समिति के अध्यक्ष ने इस भवन के पुनर्निर्माण के लिए अधिकारियों से लिखित व मौखिक निवेदन कई बार किया, लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस है।