हादसों से सबक नहीं ले रहे चालक, 60 यात्रियों की क्षमता… सवार कर लिए जाते हैं 80 यात्री
प्रयागराज (राजेश सिंह)। लंबी दूरी की स्लीपर बसों में लोग जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हैं। इन बसों में यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर बैठाया जाता है। जिन बसों में 40 यात्रियों के बैठने व 20 स्लीपर सीटों की व्यवस्था है, उसमें 80 या इससे अधिक यात्री बैठाए जाते हैं। मंगलवार को संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इन्हीं स्लीपर बसों की जांच की तो ऐसे मामले पकड़ में आए। चार बसों को सीज किया गया। जबकि कागजातों में कमी मिलने पर सात का चालान काटा गया। वहीं, फिटनेस व परमिट न होने पर तीन स्कूली बसों को सीज करने की कार्रवाई की गई। स्लीपर बसों में यात्रियों को सभी सुविधाएं देने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर यात्रियों को बसों में बैठाया जाता है। मंगलवार को एआरटीओ प्रवर्तन प्रथम अलका शुक्ला ने सीएमपी डाट पुल व लोकसेवा आयोग के पास स्लीपर बसों की जांच की।
इस दौरान 21 बसों को चेक किया गया। इसमें चार में 80 या इससे अधिक यात्री सवार थे। यह बसें वाराणसी से मथुरा, हरिद्वार व दिल्ली जा रही थीं। दो बस जार्जटाउन व दो बस सिविल लाइंस थाने में लाकर सीज करने की कार्रवाई की गई। सात अन्य बसों के कागजात में कमी थी, जिस पर उनका चालान काटा गया। सिविल लाइंस रोडवेज बस अड्डा के पास से अनधिकृत तौर पर चल रहीं छह बसों को रोडवेज परिसर में सीज करवाया गया।
एआरटीओ प्रशासन राजीव चतुर्वेदी ने बताया कि बसों की जांच में यह जरूर देखा जा रहा है कि कोई केयर आफ में तो पंजीकृत नहीं हैं। प्रतिदिन बसों की जांच रिपोर्ट एआरटीओ प्रवर्तन के अधिकारियों से ली जा रही है। इसे लखनऊ स्थित मुख्यालय को भेजा जा रहा है।