प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मिर्जापुर की अदालत में लंबित मुकदमे में पूर्व मंत्री कैलाश चौरसिया के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने कैलाश चौरसिया व कलीम की अर्जी पर अधिवक्ता विनय कुमार तिवारी को सुनकर दिया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मिर्जापुर शहर कोतवाली पुलिस द्वारा 2017 में आईपीसी की धारा 171एच व 188 के तहत प्रस्तुत आरोप पत्र पर संज्ञान लेने का आदेश दिया है।
एडवोकेट विनय तिवारी का तर्क है कि आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराध का मुकदमा केवल शिकायत के आधार पर ही चलाया जा सकता है और आईपीसी की धारा 171-एच के तहत अपराध एक असंज्ञेय अपराध है। इसलिए विवेचक द्वारा धारा 171-एच के तहत अपराध की जांच के बाद प्रस्तुत पुलिस रिपोर्ट से राज्य केस की स्थापना नहीं होगी।
यानी मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 190(1)(बी) के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया है। इसके विपरीत धारा 2(डी) के तहत परिणामी पुलिस रिपोर्ट को शिकायत माना जाएगा और पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाला जांच अधिकारी शिकायतकर्ता माना जाएगा। अधिवक्ता का कहना है कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मिर्जापुर के समक्ष लंबित अपराधिक मामले की कार्यवाही राज्य केस के रूप में स्पष्ट रूप से अवैध है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सीजेएम मिर्जापुर की कोर्ट में लंबित राज्य बनाम कैलाश चौरसिया व एक अन्य में याची के खिलाफ जबरन कार्यवाही पर रोक लगा दी।