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महाकुंभ मेला प्रशासन बैकफुट पर, क्रियायोग को देनी पड़ी जमीन

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। महाकुंभ में परंपरागत भूमि आवंटन की लड़ाई क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान ने जीत ली है। इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश पर भी परंपरागत स्थान पर भूमि देने से मना करने वाले मेला प्रशासन ने आखिरकार शनिवार को कदम पीछे खींच लिया। लंबे समय से जहां मोरी-मुक्ति मार्ग पर क्रियायोग को जमीन मिलती रही है,वहीं भूमि आवंटिन का आदेश जारी कर दिया। इसी के साथ देश-विदेश से आने वाले अनुयायियों के लिए मोरी मार्ग चौराहे पर क्रियायोग की बसावट शुरू कर दी गई है।
मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने शुक्रवार को जहां मोरी-मुक्ति मार्ग पर भूमि देने संबंधी क्रियायोग के प्रतिवेदन को निरस्त कर दिया था, वहीं शनिवार को अपने निर्णय को अचानक उनको बदलना पड़ गया। सेक्टर पांच में बसावट करने के मेलाधिकारी के आग्रह को क्रियायोग के संस्थापक योगी सत्यम की ओर से ठुकराए जाने के बाद मेला प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा।
मेले में भूमि सुविधाओं का आवंटन क्रमवार और तिथिवार निर्धारित होता रहा है। इस बार भी भूमि आवंटन की तिथियां मेला प्रशासन की ओर से निर्धारित की गई थीं। 25 अक्तूबर तक सिर्फ अखाड़ों के अलावा दंडीवाड़ा, आचार्यवाड़ा को ही भूमि का आवंटन किया जा सका था। संस्थाओं की बसावट के लिए दो जनवरी से आवंटन होना था, लेकिन इससे पहले ही लल्लूजी डेरा वाले के पास क्रियायोग आश्रम की संस्था योग सत्संग समिति समेत दर्जन भर से अधिक संस्थाओं की बसावट के लिए सुविधा पर्ची पहुंच गई थी। इसे लेकर सवाल खड़े होने लगे थे।
सीएम योगी आदित्यनाथ औ्रर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से शिकायत की गई थी। योगी सत्यम का आरोप है कि वर्ष 2023-24 के माघ मेले में प्रभारी मेलाधिकारी रहे श्री दयानंद प्रसाद ने क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान की भूमि त्रिवेणी मार्ग की उत्तरी पटरी पर न देकर मेला क्षेत्र मिलते रहे स्थान से दस किलोमीटर बाहर वहां कर दी थी, जहां संतों-भक्तों और साधकों का पहुंचना आसान नहीं था। लगातार आग्रह करने के बाद भी उक्त मेलाधिकारी ने क्रियायोग को भूमि निर्धारित स्थान पर न देकर दूसरी संस्थाओं को बसा दिया। आश्चर्य की बात तो यह है कि ढेर सारी उत्तर व दक्षिण पटरी पर खाली पड़ी भूमि उसी तरह छोड़ दी गई लेकिन क्रियायोग शिविर को भूमि नहीं दी गई।
सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर क्रियायोग अभ्यास के जरिए पहुंचाने वाली आध्यात्मिक संस्था क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान की बसावट के विवाद का हाईकोर्ट के आदेश के बाद मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने निस्तारण करते हुए अभ्यर्थन निरस्त कर दिया था। लेकिन अचाननक मेलाधिकारी को बैकफुट पर आनौ पड़ा है। संस्थान के अध्यक्ष योगी सत्यम ने दो टूक कहा था कि अगर परंपरा के विपरीत मुक्ति मार्ग पर भूमि नहीं मिली तो महाकुंभ में क्रियायोग का शिविर नहीं लगाया जाएगा। अंतत: मेवा प्रशासन ने मोरी मार्ग चौराहे के पास शिविर लगाने के लिए भूमि आवंटन के साथ ही सुविधा पर्ची जारी कर दिया है। मकर संक्रांति के बाद वहां बसावट होगी।

1995 में त्रिवेणी मार्ग पर क्रियायोग को मिली थी भूमि

मेला प्राधिकरण के रिकॉर्ड के मुताबिक क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान की सहयोगी संस्था योग सत्संग समिति को वर्ष 1995 में त्रिवेणी मार्ग पर भूमि मिली थी। तब पेरू के अंबेसडर ने क्रियायोग के शिविर में ही महीने भर प्रवास किया था। इसके बाद लगातार मोरी मार्ग-मुक्ति मार्ग चौैराहे पर ही जमीन मिलती रही है।

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